राज्य के ४० हजार पिछडावर्गीय पदोन्नती से वंचित
संवैधानिक अधिकार मिलवाकर देने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की
प्रतिनिधि/दि.१५
नागपुर – राज्य के लगभग ४० हजार पिछडावर्गीय कर्मचारी पदोन्नती से वंचित है. पदोन्नती के आरक्षण को लेकर राज्य सरकार की याचिका सुप्रीमकोर्ट में न्याय प्रविष्ठ है. न्यायालय के अधिन रहकर देश के अन्य राज्यों को पदोन्नती का आरक्षण दिया गया है. लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार ने २९ दिसंबर २०१७ में दी गई स्थगिती अभी भी बरकरार है. कास्ट्राइब कर्मचारी महासंघ के कृष्णा इंगले ने इसे लेकर राज्य सरकार पर टिप्पणी भी की है. अनुसूचित जाती जनजाती को पदोन्नती का आरक्षण यह संवैधानिक अधिकार है और वह दिलवाकर देना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. लेकिन राज्य सरकार इस विषय को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है. अनुसूचित जाती व जनजाती का पक्ष सर्वोच्च न्यायालय में रखने के लिए राज्य सरकार ने विशेष वरिष्ठ विशेषज्ञ नियुक्त नहीं किए है. राज्य ने सरकारी सेवा के पिछडावर्गीय कर्मचारियों का अनुशेष बडे पैमाने पर है. पिछडावर्गीयों के सरकारी सेवा का प्रतिनिधित्व अधूरा है. महाराष्ट्र जैसे राज्य में अनुसूचित जाती जनजाती को संवैधानिक अधिकार पान के लिए संघर्ष करना पड रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण बात होने का आरोप इंगले ने किया है.
- १७ अगस्त को आंदोलन
कास्ट्राइब कर्मचारी महासंघ की ओर से समस्या पर ध्यान देने के लिए १७ अगस्त को आंदोलन किया जाएगा. कोरोना हालातों का विचार कर संगठन की ओर से समाज में जनजागृति की जाएगी यह जानकारी इंगले ने दी है. नागपुर में होने वाले आंदोलन में महासंघ के जिलाध्यक्ष डॉ. सोहन चवरे, महासचिव नरेंद्र धनवीज, जालिंदर गजभारे, बबन डाबरे, परसराम गोडाने, प्रेमदास बागडे आदि शामिल होंगे.