विदर्भ

मोर्शी में अत्याधुनिक डाग ट्रेनिंग सेंटर

भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए वैद्य का अभिनव उपक्रम

  • प्रशिक्षण के लिए देश-विदेश से लाये जाते है विभिन्न प्रजाति के डाग

मोर्शी/दि.26 – तहसील के येवती इस छोटे से गांव में गरीब परिवार में जन्मे गणेश वैद्य ने उम्र के 17 वें वर्ष 1978 में भारतीय सेना के गोरखा रेजिमेंट में सैनिक पद पर भर्ती हुए. सिमला में शुरु प्रशिक्षण काल में वैद्य ने विशेष मेहनत की. उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (ब्लैक कैट कमांडो) के रुप में चुना गया. उन्हें एक वर्ष की डाग ड्रेनर प्रशिक्षण दिया गया. इसके बाद उन्हें नायाब सुभेदार पद पर चुना गया. वैद्य ने सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद अपने गांव में अत्याधुनिक डाग ट्रेनिंग सेंटर शुरु किया. यहां प्रशिक्षण के लिए देश विदेश से विभिन्न प्रजाति के डाग प्रशिक्षण के लिए लाये जाते है.
वर्ष 1998 में सुभेदार पद से सेवानिवृत्त हुए वैद्य वापस अपने गांव मोर्शी में लोैटे. सेना के नियम और डाग को कडे प्रशिक्षण के कारण उनका नाम राज्य और राज्य के बाहर फैलने लगा. देश से विदेश तक ख्याती होने लगी. डाग की संख्या लगातार तेजी से बढने के कारण प्रशिक्षण केंद्र छोटा पडने लगा. तब उन्होंने अमरावती मार्ग पर 2 एकड जमीन खरीदकर अत्याधुनिक बडे पेैमाने पर डाग ट्रेनिंग सेंटर शुरु किया. उसके माध्यम से सैकडों युवक, युवतियों को रोजगार मिलने लगा. सुभेदार गणेश वैद्य के ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग लेने वाले डाग देश विदेश के उद्योगपति, सेना के बडे अधिकारी, राजनीतिक नेता इतना ही नहीं तो औद्योगिक परिसर की सुरक्षा के लिए भी बडी संख्या में प्रशिक्षित डाग लिये जाते है. वैद्य के परिश्रम से बडी संख्या में लगातार डाग ट्रेनिंग के लिए यहां लाये जा रहे है.

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