नागपुर/प्रतिनिधि दि.29 – राज्य के व्याघ्र प्रकल्पों के लिए राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण की मार्गदर्शक सूचना है. किंतु व्याघ्र प्रकल्प के अलावा अन्य जंगल के वन्यजीवों के लिए ऐसी कोई भी मार्गदर्शक सूचना नहीं थी. राज्य वन्यजीव मंडल के सदस्यों ने मंडल की बैठक में केंद्र की तर्ज पर राज्य का वन्यजीव कृति प्रारुप तैयार करने की मांग की थी. यह प्रारुप अब तैयार हुआ है. तथा राज्य सरकार के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेजा गया है.
शुरुआत में वह अंगे्रेजी में और उसके बाद मराठी में तैयार किया जाएगा. 2021 से 2031 इन 10 वर्षों के लिए प्रारुप है. 3 वर्ष, 5 वर्ष और 10 वर्ष इस तरह तीन चरणों में वह अमल में लाया जाएगा. राज्य वन्यजीव कृति प्रारुप यह वन्यजीव संवर्धन, वन्यजीव संरक्षण और जनजागृति की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगा. विविध विषय के तज्ञों व्दारा यह कृति प्रारुप का तैयार किया गया है. 12 विषयों के लिए 12 समितियां और उन हर समिति में उस विषय के तज्ञ तथा वन विभाग का एक अधिकारी समन्वय के रुप नियुक्त किया है. महाराष्ट्र के समूचे वन्यजीवों ेक व्यवस्थापन के चलते यह एक स्वयंपूर्ण व एक छत्र मार्गदर्शक दस्तावेज रहेगा. राज्य में वन्य प्राणी संरक्षक व संवर्धन के संदर्भ में अनेक चुनौतियां है. वन्य प्राणियों का अधिवास, भ्रमण मार्ग संरक्षण के लिए भी विकास कामों से बाधा निर्माण होती है. खाद्य की कमी और वन को लगकर रहने वाले गांववासियों की जंगलों पर ही निर्भरता आदि अनेक समस्या निर्माण हुई है. राज्य में जैव विविधता के प्रमाण में संरक्षण व संवर्धन तथा व्यवस्थापन की दृष्टि से भी विविधता की जरुरत है. वन्यजीव विभाग में समय के अनुसार बदलाव आवश्यक है. वन्यजीवों का योग्य व्यवस्थापन होने की दृष्टि से व्यापक नियोजन आवश्यक है. राज्य में घोषित किया गया संरक्षित क्षेत्र, कुल भौगोलिक क्षत्रफल की तुलना में 3 प्रतिशत है. अभी भी 5 प्रतिशत जागा उद्देश्य काबिज करने का लक्ष्य पूर्ण नहीं करते आया. उसी में मानव वन्यजीव संघर्ष चरम पर पहुंचा है. आधुनिकता आत्मसात कर कर्मचारी व अधिकारियों को आवश्यक वन्यजीव प्रशिक्षक, अधिवास व्यवस्थापन आदि प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध रहनी चाहिए, तभी भविष्य की चुनौतियों का सामना करना संभव होगा. उस दृष्टि से ही यह प्रारुप तैयार किया गया है. इस प्रारुप को अब प्रशासकीय मंजूरी की प्रतिक्षा है, ऐसा प्रधान मुख्य वनसंरक्षक ने बताया.
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बारह विषयों का चयन
राज्य वन्यजीव कृति प्रारुप के लिए बारह विषयों का चयन किया गया. इसमें प्रमुखता से धोकाग्रस्त प्रजाति का संवर्धन, वन्यजीवों का अवैध व्यापार, मानव-वन्यजीव संरक्षण व बचाव, वन्यजीवों का स्वास्थ्य व्यवस्थापन, जलिय परिसंस्था संवर्धन, सागरी किनारपट्टी व सागरी जैवविविधता संवर्धन, वन्यजीव पर्यटन व्यवस्थापन व जनजागृति, वन्यजीव संवर्धन में जनसहभाग, वन्यजीव संशोधन के लिए सबलीकरण, वन्यजीव क्षेत्र व कृति प्रारुप के अनुसार काम करने के लिए निधि की उपलब्धता और वैसा जाल तैयार करना आदि बारह विषयों का समावेश है.