विदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड पर

अवनी को जान से मारने का मामला

नागपुर / प्रतिनिधि 10 मार्च – यवतमाल जिले के पांढरकवडा वन परिक्षेत्र में नरभक्षक अवनी (टी-1) बाघिन की हत्या किये जाने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय व्दारा दिया गया निर्णय मंगलवार को मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ के रेकॉर्ड पर लाया गया. इस संदर्भ में वनविभाग ने प्रतिज्ञा पत्र दाखल किया है.
सर्वोच्च न्यायालय व्दारा कुछ दिनों पूर्व विविध बातों को ध्यान में रखते हुए इस मामले में वनविभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव विकास खारगे सहित कुल 9 अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने नकार दिया गया था.जिस कारण संबंधित अवमान याचिका पीछे ली गई थी. वनविभाग ने इस बात को उच्च न्यायालय के ध्यान में लाते ही यहां प्रलंबित अर्थ ब्रिगेड फाऊंडेशन की जनहित याचिका खारीज करने की विनती की है. दरमियान इस संदर्भ में याचिकाकर्ता व्दारा आवश्यक मुद्दे को रिकॉर्ड में लाने के लिये समय मांगे जाने के कारण उच्च न्यायालय ने इस प्रकरण पर 18 मार्च को आगे की सुनवाई निश्चित की.
अवनी को जान से मारने समय वन्यजीव (सुरक्षा) कानून-1972, नार्कोटिक एंड सायक्रोट्रॉपिक सबस्टन्स एक्ट-1985,इंडियन व्हेटरनरी कौन्सिल एक्ट-1984, राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण व्दारा जारी स्टैन्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर एवं सर्वोच्च व उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया गया, ऐसा फाउंडेशन का कहना है. फाउंडेशन की तरफ से एड. श्रीरंग भांडारकर एवं वनविभाग की ओर से एड. कार्तिक शुकुल ने कामकाज देखा.

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