विदर्भ

टी-1 बाघिन को कानूनी नियमों के तहत मारा गया क्या?

नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार को सप्ताह भर में जवाब देने का भेजा नोटिस

नागपुर प्रतिनिधि/दि.19 – यवतमाल जिले के पांढरकवडा वनपरिक्षेत्र में नरभक्षी टी-1 बाघिन कोस कानूनी नियमों का पालन करते हुए मारा गया क्या? और इस कार्रवाई के बाद आगे क्या किया गया. इस बारे में मुंबई उच्च न्यायालय नागपुर खंडपीठ ने सोमवार को राज्य सरकार से सवाल पूछा है. वहीं एक सप्ताह मे नोटिस का जवाब देने के निर्देश दिये है. इस मामले में न्यायाधीश सुनिल शुके्र व अविनाश घरोटे के समक्ष सुनवाई हुई. इस संदर्भ में मुंबई के अर्थ ब्रिगेड फाउंडेशन ने जनहित याचिका दाखिल की है.
जनहित याचिका मे यह आरोप लगाया गया है कि, टी-1 बाघिन को मारते समय वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम 1972, नार्कोटिस एण्ड साक्रोट्रॉपिक सबस्टंस एक्ट 1985-इंडियन वेटर्नरी कॉसिंग एक्ट 1984, राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण द्बारा जारी स्टॉन्डर्ड ऑपरेटींग प्रोसिजर और सर्वोच्च व उच्च न्यायालय के आदेशों की धज्जिया उडाई गई है. जबकि वनविभाग ने बताया कि, बाघिन ने 13 महिलाओं और पुरुषों का शिकार किया था. जिसके चलते मुख्य वन संरक्षक ए.के. मिश्रा ने 4 सितंबर 2018 में आदेश जारी कर बाघिन को बेहोश कर पकडने के प्रयास किये जा रहे थे. लेकिन पकडने मे नाकाम साबित होने के बाद मनुष्य हानी टालने के लिए और बाघिन के दो शावकों को बेहोश कर पकडने व राहत केंद्र में भेजने के निर्देश दिये गये थे. इस आदेश पर अमल करने के लिए नवाब शफत अली खान नामक निजी शुटर की नियुक्ति की गई थी. खान और उसकी टीम ने 2 नवंबर 2018 में मनुष्य हानी टालने के लिए बंदुक की गोलिया दागकर बाघिन को मार गिराया गया. याचिकाकर्ता की ओर से एड. सेजल लखानी और वनविभाग की ओर से एड. कार्तिक शुकूल ने कामकाज देखा.

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