मोर्शी/दि.11– कोविड-19 संसर्गजन्य वैश्विक महामारी की पार्श्वभूमि पर राज्य ही नहीं संपूर्ण दश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने से विगत डेढ़ वर्षों से राज्य की सभी शालाएं, महाविद्यालय बंद किए गए थे व संपूर्ण अभ्यासक्रम ऑनलाईन पद्धति से लिया गया था. लेकिन गत दो से तीन माह से कोरोना का प्रादुर्भाव कम होने से चरणबद्ध तरीके से शाला-महाविद्यालय शुरु किए गए थे. स्कूल शुरु होने के बाद विद्यार्थियों में पढ़ने, लिखने व ज्ञानार्जन की क्षमता कम होते दिखाई दी थी. अब कही जाकर कुछ पैमाने पर विद्यार्थियों का संपूर्ण ध्यान पढ़ाई की ओर दिखाई दिया था.
स्कूल, महाविद्यालय का अभ्यासक्रम सुचारु था, ऐसे में फिर से एक बार कोरोना की तीसरी लहर ओमायक्रॉन के कारण राज्य की सभी शालाएं व महाविद्यालय 15 फरवरी तक बंद करने हेतु राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया. शासन के इस निर्णय से शिक्षक व पालकों में नाराजी के सुर होकर अपने पाल्यों का शैक्षणिक नुकसान होने पर पालकों में चिंता का वातावरण दिखाई दे रहा है.
एक ओर होटल, शराब दूकाने, बार, मंदिर सर्वत्र शुरु रहते मात्र राज्य की स्कूल व महाविद्यालय बंद है.ऑनलाईन पढ़ाई के कारण विद्यार्थियों में नाराजी देखी जा रही है. कक्षाओं में प्रत्यक्ष बैठकर शिक्षा ग्रहण करना यहीं शिक्षण का उचित मार्ग है. इसके लिए स्कूल बंद के निर्णय हेतु राज्य सरकार ने पुनर्विचार करना चाहिए.
– श्रीकांत देशमुख, शिवाजी हाइस्कूल मोर्शी