विदर्भ

पति-पत्नी के बीच समझौता बच्चे पर लागू नहीं होता है

हाई कोर्ट का फैसला: 4 हजार का गुजारा भत्ता रखा बरकरार

नागपुर/दि.10– तलाक और एकमुश्त रकम मामले में पति-पत्नी के बीच हुआ समझौता उनके बच्चे पर लागू नहीं किया जा सकता, ऐसा मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने एक मामले में दिए फैसले में स्पष्ट किया. तथा बच्चे को मंजूर हुआ मासिक चार हजार रुपए का गुजारा भत्ता कायम रखा. न्यायमूर्ति अनिल पानसरे ने यह फैसला सुनाया.

इस मामले के पति संजय और पत्नी कविता (काल्पनिक नाम) ने आपसी सहमति से अपना विवाद सुलझा लिया है. कविता ने एकमुश्त 2 लाख 50 हजार रुपए का गुजारा भत्ता लेकर संजय को तलाक दिया है. उन्होंने यह आश्वासन भी दिया है कि वह भविष्य में गुजारा भत्ता नहीं मांगेंगी. उसका 11 साल का बेटा है. लड़का कविता के साथ रह रहा है. इसलिए बच्चे ने संजय से गुजारा भत्ता लेने के लिए भंडारा फैमिली कोर्ट में आवेदन करने पर उसे 21 अक्टूबर 2022 को चार हजार रुपए गुजारा भत्ता मंजूर किया गया था. परिणामस्वरूप संजय ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. कविता बेटे को आगे कर अतिरिक्त गुजारा भत्ता वसूल कर रही है. समझौते के अनुसार वह ऐसा नहीं कर सकती, यह दावा संजय ने किया था. हाईकोर्ट ने दावे को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया. प्रासंगिक समझौते का अनुपालन केवल संजय और कविता पर बाध्यकारी है. वह अनुबंध किसी बच्चे पर लागू नहीं किया जा सकता. इसलिए अदालत ने कहा, कविता बच्चे को गुजारा भत्ता मांगने से नहीं रोक सकती.

*42 हजार रुपए आय
संजय की मासिक आय 42 हजार रुपए है. इसलिए अदालत ने फैसला सुनाया कि भोजन, कपड़ा, आश्रय, चिकित्सा और शिक्षा खर्च सहित अन्य जरूरतों को देखते हुए बच्चे को संबंधित गुजारा भत्ता मंजूर किया.

Related Articles

Back to top button