
* बाघ के शिकारी सक्रिय, वनविभाग विफल
नागपुर/दि.15– राज्य में बाघों का शिकार करने वाला गिरोह सक्रिय होता जा रहा है. जागरुक पर्यटकों के कारण टिपेश्वर अभयारण्य में फंसा बाघ छूट गया. लेकिन वनविभाग विफल साबित हुआ. 2016 से अनेक सेलिब्रिटी बाघ लापता है. वनविभाग को उन्हें खोजने में सफलता नहीं मिली है.
यवतमाल जिले के टिपेश्वर अभयारण्य में एक शावक के पैर में जाल फंस गया था. 12 मार्च की शाम एक पर्यटक ने फोटो निकाला. उस फोटो में शावक के पैर में फंदा फंसा दिखाई दिया. वनविभाग ने तत्काल खोज अभियान शुरु किया. 24 घंटे में शावक को बेहोश कर जाल निकाला गया. पश्चात उसे अभयारण्य में छोड दिया गया. इसी जंगल में 1 फरवरी को इसी बाघ (मादा) के गले में तार का जाल फंसा था. वह काफी घायल हो गया था. उसके तीन शावकों का प्रश्न निर्माण हुआ. 24 फरवरी को पाठनबोरी के पिलखान क्षेत्र में उसे बेहोश कर तार का यह फंदा निकाला गया और आगे के उपचार के लिए उसे पिंजरे में कैद रखा गया. 24 फरवरी से 3 मार्च तक उस पर उपचार शुरु था. उपचार पूर्ण होने और जख्म सुखने के बाद उसे नैसर्गिक अधिवास में छोडा गया. 2016 से विदर्भ के अनेक विख्यात बाघ लापता है. नागझीरा अभयारण्य में राष्ट्रपति, जय, जयचंद, अल्फा, डेंडू का कोई अता-पता नहीं है. उसकी तलाश भी रोक दी गई है. कलमेश्वर-कोंढरी परिसर का नवाब बाघ भी लापता है. टिपेश्वर अभयारण्य में तालाबवाली बाघ और जंजीर बाघ इस बार पर्यटकों को दिखाई नहीं दिये. उसका अस्तित्व भी पता नहीं चला. इसके पूर्व भी स्टार बाघ और तिलखान मादा बाघ भी लापता हो गये.
उमरेड-पवनी-कर्हाडला अभयारण्य में जय बाघ तथा ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प से माया नामक मादा बाघ लापता हो गये. बाघों के शिकार के लिए शिकारी लोहे के जाल का इस्तेमाल करते हुए चंद्रपुर जिले में पकडे गये आरोपियों से चाकू, छन्नी, कुल्हाडी, भाला, लोहे की खुटी आदि शस्त्र जब्त किये गये. सेंट्रल चांदा वनविभाग के बाघ शिकार प्रकरण में 14 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई. जुलाई 2023 में गुवाहाटी से 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने गडचिरोली और चंद्रपुर जिले के शिकार की जानकारी दी. सावली वनविभाग ने गुवाहाटी से 5 लोगों को गिरफ्तार किया. गडचिरोली जिले के आंबेशिवणी परिसर में बाघ का शिकार हुआ था.
* शिकारी काफी क्रूरता से करते है शिकार
एक पैर लोहे के जाल में फंसने के बाद जख्मी बाघ उस घेरे से बाहर घुम नहीं सकता. बहेलिया शिकारी बाघ कितनी दूरी तक घुम सकता है, यह देखकर घेरा बनाते है और उसके बाहर खडे रहकर बाघ को छेडते है. बाघ उठकर घुमने लगा, तब डंडे से उसके सिर पर वार करते है. इसका कारण यह रहता है कि, उसके शरीर के अवशेष शराब न हो सके. बाद में बाघ अधमरा हो जाता है. दहाडने के लिए बाघ के मुंह खोलते ही लोहे का भाला उसके मुंह में डाल देते है. इस तरह कू्ररतापूर्वक उसकी हत्या कर उसकी खाल निकाली जाती है, ऐसा सूत्रों ने कहा.
* शिकारी और लापता बाघों पर चिंतन जरुरी
पर्यटकों में लोकप्रिय रहने से लापता होने वाले सेलिब्रिटी बाघों पर सामाजिक संस्था, वन्यजीव प्रेमी और वृत्तपत्र का ध्यान केंद्रीत रहता है. अन्यथा अनेक बाघों का क्या होता है, यह पता नहीं चल पाता. चंद्रपुर-गडचिरोली जिले में इस वर्श बावरिया गिरोह के शिकार में चार बाघ मारे गये. आसाम राज्य में शिकार हुए बाघों की खाल व अवशेष मिलने तक राज्य के वनविभाग को इसका पता तक नहीं था. हर 4 साल बाद होने वाले सेंसस के आंकडे घोषित होने पर बाघ की संख्या बढने में हम उत्सव मनाते है. लेकिन हर वर्ष दुर्घटना, शिकार ेमें मृत हुए बाघों पर भी चिंतन होना चाहिए.
– यादव तरटे पाटिल,
वन्यजीव अभ्यासक.