विदर्भ

उम्मीदवार द्वारा दी गई शुभकामनाएं आचारसंहिता का भंग नहीं

नागपुर हाईकोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला

  • नगर परिषद चुनाव में प्रकाशित किया था शुभकामना का विज्ञापन

नागपुर/दि.12 – चुनाव लडनेवाले उम्मीदवार द्वारा त्यौहार की शुभकामना देनेवाला पोस्टर लगाना और उस पर अपना छायाचित्र प्रकाशित करना किसी भी तरह से आचारसंहिता का भंग नहीं है. इस आशय का महत्वपूर्ण फैसला मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ द्वारा दिया गया है. गडचिरोली के निर्वाचन अधिकारी द्वारा आपत्ति एवं शिकायत दर्ज किये जाने के बाद गीता हिंगे ने इस मामले को लेकर नागपुर खंडपीठ में अपनी याचिका दायर की थी. इस याचिका पर न्यायमूर्ति रोहित देव की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई.
इस याचिका के मुताबिक गीता हिंगे गडचिरोली नगर परिषद के चुनाव में भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी थी. वर्ष 2016 में हुए चुनाव में आचारसंहिता काल के दौरान ही दीपावली का पर्व भी आया था. ऐसे में उन्होंने परिसर के सभी नागरिकों को शुभकामना देने हेतु एक अखबार में विज्ञापन प्रकाशित करवाया था. जिसमें उनके सहित उनके समर्थकोें के छायाचित्र भी प्रकाशित थे और इस पोस्टर पर कमल का चित्र भी प्रकाशित था. ऐसे में संबंधित क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी ने गीता हिंगे के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी. जिसके आधार पर गडचिरोली पुलिस ने हिंगे और उनके समर्थकों पर अपराध दर्ज किये. जिसमें उन पर आचारसंहिता भंग करने का आरोप लगाया गया और इस मामले की जांच के बाद अदालत मेें आरोपपत्र दायर किया गया. जिसे रद्द कराने हेतु हिंगे ने उच्च न्यायालय में गुहार लगायी और इस याचिका में कहा गया कि, इस मामले की जांच के अधिकार पुलिस के पास नहीं है.
पश्चात न्यायालय ने सुनवाई पूरी करते हुए अपने आदेश में कहा कि, चुनाव लडनेवाले उम्मीदवार द्वारा त्यौहार की शुभकामना देने में कुछ भी गलत नहीं है. यद्यपि विज्ञापन में कमल के फुल का फोटो भी प्रकाशित था, किंतु उस पर पार्टी के नाम का उल्लेख नहीं है. ऐसे में भले ही कमल यह भाजपा का चुनाव चिन्ह है, लेकिन इसकी वजह से मतदाताओं पर प्रभाव पडा, ऐसा नहीं कहा जा सकता. इस फैसले के साथ ही न्यायालय ने गीता हिंगे व उनके समर्थकों पर दर्ज अपराध को रद्द करने का आदेश दिया.

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