नागपुर/दि.9– पत्नी को खावटी देने से इंकार करने वाले एक लापरवाह पति को झटका लगा है. पत्नी को मंजूर खावटी के विरोध में पति ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में दर्ज की याचिका खारिज कर दी गई. न्या. गोविंद सानप ने यह निर्णय सुनाया.
इस प्रकरण में पति गढ़चिरोली का तथा पत्नी चंद्रपुर जिले की रहने वाली है. पति द्वारा शारीरिक व मानसिक अत्याचार किए जाने से मायके चली गई पत्नी ने प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी न्यायालय में पारिवारिक हिंसाचार कानून के तहत शिकायत दर्ज कर खावटी मांगी थी. 19 नवंबर 2021 को प्रथम श्रेणी न्यायदंडाधिकारी की अदालत में उसे 5 हजार रुपए मासिक खावटी देने के निर्देश दिए थे. पति को खावटी नहीं देना था, इस कारण उसने इस आदेश को सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी. 24 नवंबर 2022 को सत्र न्यायालय ने पति की अपील नामंजूर की. परिणामस्वरुप उसने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. पत्नी को सिकलसेल है. यह बीमारी उसने छुपाकर रखी थी. वह घरकाम नहीं कर सकती. उसे घर संसार नहीं करना है. इस कारण वह मायके चली गई. उसके पास खेती है. इश कारण उसे खावटी की आवश्यकता नहीं, आदि मुद्दे पति ने रखे थे और खावटी का आदेश रद्द करने की मांग की थी. उच्च न्यायालय ने विविध सबूत ध्यान में रखते हुए यह मुद्दे गुणवत्ताहीन ठहराते हुए पत्नी की खावटी कायम रखने इस दंपत्ति का 4 मई 1987 को विवाह हुआ था. उन्हें दो बेटी है. इसमें से एक बेटी का विवाह हुआ है. पत्नी की तरफ से एड. संकेत भालेराव व एड. अर्जुन रागीट ने काम संभाला.
पारिवारिक हिंसाचार सिद्ध
पति मारपीट करता था और मानसिक अत्याचार भी करता था. यह पत्नी ने सिद्ध किया. पति एक साल के लिए संपर्क के बाहर गया था. वह वापस लौटने के बाद पत्नी ने उसे साथ रहने दिया. उसे खुद अलग होना रहता तो उसने रिश्ता बनाए रखने का प्रयास नहीं किया रहता. साथ ही दो बेटियों को जन्म नहीं दिया रहता. ऐसी फटकार अदालत ने पति को लगाई.