विदर्भ

वैनगंगा-नलगंगा के लिए आर्थिक प्रावधान की चुनौती

विदर्भ के 6 जिलों के 15 तहसीलों को होगा लाभ

नागपुर /दि.15– विदर्भ के 6 जिलों के करीबन पौने 4 लाख हेक्टेयर अथवा 10 लाख एकड क्षेत्र में सिंचन की सुविधा उपलब्ध कर देने वाला प्रकल्प यानि वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड प्रकल्प है. हजारों किसानों के जीवन में आर्थिक क्रांति लाने की क्षमता वाले इस प्रकल्पों को हाल ही में वित्तीय बजट अधिवेशन में मंजूरी मिली. यह विदर्भवासियों के लिए निश्चित रुप से खुशी की बात है. सिंचन का अनुशेष दूर करने का यह प्रयास रहने वाला है. लेकिन तत्काल प्रशासकीय मंजूरी और निधि का प्रावधान ऐसी दो बडी चुनौती राज्य शासन के सामने है.
इस प्रकल्प पर 88 हजार 574 करोड रुपए खर्च अपेक्षित है. यहीं सबसे बडी चुनौती राज्य सरकार के सामने है. विदर्भ के बुलढाणा, अकोला, नागपुर, वर्धा, यवतमाल और अमरावती जिले की 15 तहसीलों को इस प्रकल्प का लाभ होने वाला है. इसके अलावा इस प्रकल्प के लिए करीबन 28 हजार हेक्टेयर जमीन संपादीत करनी पडेगी. नदियों को बाढ आने के बाद हजारों दलघमी पानी बर्बाद होता है. नदी जोड प्रकल्प के माध्यम से यह पानी संपूर्ण विदर्भ में पहुंचा, तो नुकसान कम होगा और अवर्षण प्रवण क्षेत्र में सिंचन क्षमता निर्माण करने वाले इस प्रकल्प को बडी राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है. महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने गत वर्ष ही इस प्रकल्प को मंजूरी दी है. इस प्रकल्प के माध्यम से विदर्भ के गोसे खुर्द, लोअर वर्धा, काटेपूर्णा व नलगंगा ऐसे 4 बडे प्रकल्पों में संग्रहण क्षमता निर्माण की जाने वाली है. इसके अलावा 31 नये प्रकल्प किये जाने वाले है. हर वर्ष ग्रीष्मकाल आने पर विदर्भ के अनेक स्थानों पर पेयजल की समस्या निर्माण होती है. विदर्भ में सिंचन का अनुशेष काफी बडा है. इसी कारण प्रमुख रुप से किसान आत्महत्या के लिए विवश होते है. इस पर खेती से आने वाली आय बढाना यही एक पर्याय है. इसके लिए सिंचन यह महत्वपूर्ण बात रहेगी. जोड प्रकल्प होने के बाद इस परिस्थिति में आमूलाग्र बदलाव होकर विदर्भ के किसानों की आर्थिक उन्नति को भी सहयोग होने की अपेक्षा व्यक्त की जा रही है. इस बाबत प्रकल्प के लिए ऑनलाइन बैठक शुरु करने के निर्देश दिये गये है. हर 15 दिनों में इस पर समीक्षा ली जाने वाली है. दिसंबर अंत तक इस प्रकल्प का सर्वेक्षण और अन्वेशन पूर्ण होने का अनुमान है. पश्चात केंद्र शासन के पास प्रयास कर निधि की उपलब्धता व काम का नियोजन किया जाने वाला है. इस प्रकल्प से सौर उर्जा निर्मिति भी की जाने वाली है. करीबन 1884 हेक्टेयर क्षेत्र सौर उर्जा निर्माण करने प्रस्तावित है. 3 मीटर अंतर का करीबन 426 किमी क्षेत्र रहेगा. इसके अलावा पाइप लाइन के जरिए 26 किमी पानी लाया जाएगा. साथ ही उद्योग के लिए भी पानी रखा जाएगा.

* कहां कितने हेक्टेयर सिंचन क्षमता बढेगी?
बुलढाणा                       38,214
नागपुर                         92,326
वर्धा                             56,646
अमरावती                     83,581
यवतमाल                      15,895
अकोला                        84,625

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