विदर्भ

कांक्रीट का जंगल बन रहा है शहर, पार्क-उद्यान जरुरी

नागपुर/दि.१० – हमारे शहर कांक्रीट के जंगल बनते जा रहे है. ग्रीन जोन तेजी से कम होते जा रहे है. तंग गालियों और कॉलोनियों में रहने वाले लोगों के पास रिले्नस होने के लिए तक जगह नहीं है. बढते शहरीकरण और प्रदुषण के बीच हमारे बच्चों के खेलने या प्रकृति से परिचित होने अवसर तक नहीं मिल रहा. बतौर मनुष्य हम घरों या दफ्तरों में कितने भी देर रहे, खुली हवा में सांस लेने के लिए बाहर जरुरी निकलना पडता है. ऐसे में हमें हमारे शहर के उद्यान और पार्क संरक्षित करने की जरुरत है.

न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे व न्यायमूर्ति अनिल किल्लोर की खंडपीठ ने इस निरिक्षण के साथ मंगलवार को एक अहम फैसला दिया. शहर के प्रसिद्ध उद्यान धरमपेठ स्थित ट्रैफिक पार्क के प्रस्तावित व्यावसायिक उपयोग का विरोध करती जनहित याचिका पर मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई सीविक ए्नशन गिल्ड फाउंडेशन की याचिका पर कोर्ट ने पर्यावरण और वृक्षों के संवर्धन पर जोर देते हुए मनपा ने यहां कामकाज का जो टेंडर जारी किया था. उसे रद्द कर दिया. साथ ही उद्यान में हो रहे विकासकार्य डेवलपमेंट प्लान के अनुसार है या नहीं यह भी सुनिश्चित करने के आदेश मनपा को दिए. कोर्ट ने कहा है कि, पार्क और उद्यान नागरिकों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरुरी है. कोर्ट ने अमरिका के २६ वें राष्ट्रपति व प्रकृति प्रेमी थियोडोर रोजवेल्ट के इस वाक्य का अपने आदेश में उपयोग किया, एक राष्ट्र तब ही बेहतर हो सकता है, जब वह अपनी प्राकृतिक संपदा को अपनी संपत्ति मान कर इसे बढाता रहे. हमारी अगली पीढी को बढी हुई हरियाली मिलनी चाहिए, न कि कम.

यह था विवाद : याचिकाकर्ता का आरोप था कि, मनपा ने ट्रैफिक पार्क के व्यवसायिक उपयोग के लिए यहां गेqमग जोन, रेस्त्रां, कमर्शियल लॉन जैसे विवाद उपक्रम चलान का निर्णय लिया है. इस काम के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए है. दलील थी कि, नागरिकों के अच्छे स्वास्थ्य व मनोरंजन के लिए बनाए गए इस उद्यान का व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा सकता. इससे नागरिकों को ही परेशानी होगी. २७ फरवरी २००९ को इस पार्क का उद्धाटन बच्चों को यातायात नियमों से अवगत कराने के उद्देश्य से किया गया था, लेकिन अब इसके व्यावसायिक दोहन की पूरी तैयारी की जा रही है, जो कि गलत और अवैध है.

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