सात वर्षों से फेफड़े में अटकी लौंग बाहर निकाली
अनुभव, कौशल्य व अद्यावत यंत्रों की मदद से डॉ. अरबट व टीम को मिली सफलता
नागपुर/दि.4 – दो-तीन वर्षों से रही खांसी की तकलीफ विगत तीन माह में और अधिक बढ़ने से सांस फूलने के साथ ही थूंक से खून आ रहा था. एक डॉक्टर ने तो कैंसर की संभावना भी दर्शाई. सांस रोग तज्ञ डॉ. अशोक अरबट के यहां यह मरीज आने पर उन्होंने जांच करने के बाद कैंसर नहीं बल्कि छाती में लौंग अटकने का निदान किया. अनुभव, कौशल्य व अद्यावत यंत्रणा के सहायता से उन्होंने करीबन सात वर्षों से छाती में अटकी लौंग बाहर निकाली.
शहर की निवासी 36 वर्षीय महिला खांसी की समस्या से परेशानी थी. जिसकी वजह से विगत कुछ दिनों में खांसी के द्वारा दम लगना, वजन कम होना, छाती में दर्द व बीच-बीच में थूंक में खून आना ऐसे लक्षण दिखाई देने लगे. मरीज द्वारा एक डॉक्टर से जांच करवाने पर उन्होंने सिटी स्कैन किया. इसमें बाये फेफड़े के निचले हिस्से में गांठ व न्युमोनिया होने का निदान किया. यह गाठ कैंसर की हो सकती है, ऐसी संभावना उस डॉक्टर ने दर्शायी. जिसके चलते ब्रॉन्कोस्कोपी कर बायस्पी ली गई. लेकिन कोई हल नहीं निकला. इसलिए सीटी गायडेड बायप्सी की गई. इसमें भी किसी प्रकार का निदान नहीं हुआ. बल्कि बीमारी कम न होने की बजाय बढ़ गई थी. पश्चात डॉ. अशोक अरबट के यहां उपचारार्थ आने पर उन्होंने पहले मरीज को मानसिक आधार दिया. मरीज की फिर से ब्रॉन्कोस्कोपी कर क्रायो बायस्पी यानि थोड़ा बड़ा टुकड़ा लेकर जांच की. इसमें यह कैन्सर न होने का निदान हुआ.
मरीज व उनके पति से चर्चा करने पर यह बात ध्यान में आयी की सात वर्ष पहले गले में कुछ अटका था, ऐसा उन्होंने बताया. इसलिे ब्रॉन्कोस्कोपी कर छाती का भाग साफ किया, तब वहां कुछ अटकने का स्पष्ट हुआ. सांस नलिका में ब्रॉन्कस डायलेटेशन करने पर अंदर लौंग अटकने की बात स्पष्ट हुई. विशेष प्रयासों के बाद लौंग बाहर निकालने में सफलता मिली. इस प्रक्रिया में डॉ. अरबट के मार्गदर्शन में श्वसनरोग तज्ञ डॉ स्वप्निल बाकमवार, डॉ. परिमल देशपांडे, डॉ. आशुतोष जयस्वाल ने सहयोग किया.
- लौंग बाये फेफड़े के नीचले हिस्से में अटकी थी. वहां पहुंचना काफी कठिन था. यदि निदान नहीं हुआ हो तो फेफड़े का यह हिस्सा काटना पड़ता. लौंग बाहर निकालने के बाद मरीज को पूरी तरह से आराम मिला है.
– डॉ. अशोक अरबट, सांस रोग तज्ञ