विदर्भ

राज्य ग्राहक आयोग अध्यक्ष के परीक्षा की शर्त को किया रद्द

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

नागपुर/दि.12– सुप्रीम कोर्ट ने राज्य ग्राहक शिकायत निवारण आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए लिखित और मौखिक परीक्षा की शर्त को रद्द कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड, न्यायमूर्ति जे. बी.पारडीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है.

आयोग के अध्यक्ष के रूप में एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय न्यायाधीश को नियुक्त किया जाता है. कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि उनसे लिखित और मौखिक परीक्षा देने की उम्मीद नहीं की जा सकती. कोर्ट ने फैसले में यह भी साफ किया कि आयोग के अध्यक्ष पद की नियुक्ति हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सहमति से ही की जाएगी. मार्च-2023 में सुप्रीम कोर्ट ने देश में राज्य और जिला ग्राहक शिकायत निवारण आयोगों के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए लिखित और मौखिक परीक्षा आयोजित करने और उसके लिए संबंधित नियमों में संशोधन करने का आदेश दिया था.

इसके बाद केंद्र सरकार ने लिखित और मौखिक परीक्षा की शर्त पर आपत्ति जताई थी. राज्य ग्राहक आयोग अध्यक्ष नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार के आरोप सही पाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद शर्त रद्द कर दी. हालांकि, जिला ग्राहक आयोग अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए इस शर्त को बरकरार रखा गया. जिला न्यायाधीशों और जिला न्यायाधीशों के पद के लिए योग्य अधिवक्ताओं को जिला ग्राहक आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जा सकता है. परीक्षा में अनुचित घटना टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लिखित और मौखिक परीक्षा जरूरी है. शुरुआत में केंद्र सरकार द्वारा 2020 में लागू किए गए नियमों में लिखित और मौखिक परीक्षा का कोई प्रावधान नहीं था.

इसके खिलाफ एड. महेंद्र लिमये ने मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी. सितंबर 2021 को हाई कोर्ट ने याचिका मंजूर कर इस नियम को अवैध घोषित कर दिया. इसके बाद केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए राज्य एवं जिला ग्राहक शिकायत निवारण आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए लिखित और मौखिक परीक्षा कराने का आदेश दिया था.

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