शरीर संबंध के लिए नाबालिग की सहमति मायने नहीं रखती
नागपुर हाईकोर्ट का फैसला, आरोपी को जमानत देने से इन्कार
नागपुर/दि.4 – किसी नाबालिग लडकी द्वारा शरीर संबंध रखने के लिए दी गई सहमति का कानूनी दृष्टिकोण से कोई अर्थ नहीं है. इस आशय का फैसला मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने बुलडाणा जिले के एक मामले की सुनवाई के दौरान दिया. साथ ही न्या. विनय देशपांडे व न्या. अनुजा प्रभुदेसाई की खंडपीठ ने आरोपी पीर मोहम्मद घोटू मोहम्मद ईस्माईल (23) को जमानत देने से इन्कार कर दिया.
जानकारी के मुताबिक आरोपी पीर मोहम्मद मूलत: उत्तर प्रदेश का निवासी है. जिसके खिलाफ लोणार तहसील अंतर्गत बीबी पुलिस स्टेशन में अल्पवयीन लडकी के साथ बलात्कार करने सहित एट्रोसिटी एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया गया. इस मामले में सत्र न्यायालय द्वारा 22 अक्तूबर 2021 को जमानत याचिका खारिज किये जाने के बाद आरोपी ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी. आरोपी व पीडिता के बीच प्रेमसंबंध थे तथा वह लडकी खुद ही आरोपी के साथ भागी थी और उसने अपनी सहमति से आरोपी के साथ शरीरसंबंध रखे थे. इन मुद्दों के आधार पर हाईकोर्ट से जमानत मांगी गई थी. किंतु इन सभी मुद्दों को अमान्य करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, कानूनी तौर पर अल्पवयीन लडकी की सहमति का कोई अर्थ नहीं है. इसके साथ ही सरकारी गवाहों ने भी आरोपी के खिलाफ बयान दिया है. जिसके परिणाम स्वरूप आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती, ऐसा हाईकोर्ट का कहना रहा.
लडकी का बयान साबित हुआ महत्वपूर्ण
पीडिता द्वारा अपने बयान में कहीं पर भी यह नहीं कहा गया कि, वह आरोपी से प्रेम करती है. यह जानकारी अदालत के समक्ष रखते हुए अभियोजन पक्ष द्वारा कहा गया कि, आरोपी पीर मोहम्मद ही पीडिता पर अपने साथ संबंध रखने हेतु दबाव डाला करता था और उसने लडकी के छोटे भाई को जान से मारने की धमकी दी थी. जिसके चलते वह आरोपी के साथ भागने के लिए तैयार हुई थी. इसके अलावा वैद्यकीय सबूतों से भी यह बात साबित होती है कि, आरोपी ने पीडिता के साथ शारीरिक संबंध भी रखे.