* केंद्रीय वन्यजीव अपराध नियंत्रण शाखा ने किया सतर्क
नागपुर/दि.8- केंद्रीय वन्यजीव अपराध नियंत्रण शाखा को मिली जानकारी के आधार पर सतर्कता की सूचना दी गई है. देश के 13 बाघ परियोजनाओं को केंद्रीय वन्यजीव अपराध नियंत्रण शाखा ने सतर्क किया है. इसमें महाराष्ट्र सहित मध्यप्रदेश और छत्तीसगड के व्याघ्र प्रकल्पों का समावेश है. प्रमुखता से महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी और पेंच व्याघ्र प्रकल्पों को शिकारियों से खतरा है. सात से आठ साल पूर्व महाराष्ट्र में शिकारियों ने आतंक मचाया था. लेकिन काफी हद तक इस पर नियंत्रण आया और वनविभाग निश्चिंत हो गया. इसीका फायदा उठाकर शिकारियों ने फिर से अपना कारनामा शुरु किया. मध्यप्रदेश के सतपुडा व्याघ्र प्रकल्प के चोरना गाभा क्षेत्र में एक जलाशय में बाघ का शव मिला. शिकारियों ने बाघ की गर्दन काट दी थी. इस घटना के बाद ही केंद्रीय वन्यजीव अपराध शाखा ने सभी व्याघ्र प्रकल्पों के क्षेत्र संचालकों को और अभयारण्य सहित सटे क्षेत्र से संबंधित अधिकारियों को सतर्क किया. संगठित शिकारी गिरोह व्याघ्र क्षेत्र के आसपास सक्रिय है. विशेषत: सतपुडा, ताडोबा, पेंच, काबेंट, अमनगड, पिलीभीत, वाल्मिकी, राजाजी और बालाघाट, गडचिरोली, चंद्रपुर जैसे बाघ क्षेत्रों को शिकारियों का खतरा है.
जंगल के बाहरी गांव में शिकारियों का गिरोह
कई स्थानों पर अब शिकारियों का गिरोह सक्रिय हुआ है. 2013 से 2016 दौरान मध्यप्रदेश के कटनी के ‘बहेलिया’ इस शिकारी गिरोह ने बाघों की शिकार की तथा बाघ के अवयवों को तस्करी की जिम्मेदारी ‘बावरिया’ गिरोह ने निभाई. अब पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के ‘बावरिया’ गिरोह तस्करी न करते हुए सीधे अब सीधे शिकार करने के लिए उतरा है. चंद्रपुर, गडचिरोली जिले में जंगल के बाहरी बडे गांवों में उन्होंने अपना डेरा डालने की चर्चा है.
वनविभाग असफल रहा
सभी राज्यों में वन्यजीव अपराध नियंत्रण शाखा स्थापित करने के निर्देश 2014 में ही दिए गए थे. लेकिन इस संबंध में आगे कुछ भी बदल नहीं हुआ. कुछ ही अधिकारियों की कामकाज अच्छा है. वन्यजीवों की शिकार रोकने में वनविभाग असफल रहा है.
– यादव तरटे पाटील, पूर्व सदस्य,
राज्य वन्यजीव मंडल
सतर्कता की सूचना को गंभीरता से लें
केंद्रीय वन्यजीव अपराध नियंत्रण शाखा ने दी सतर्कता की सूचना को सभी क्षेत्रों ने गंभीरता से लेना चाहिए. इसके लिए गांव के लोगों के साथ बैठक लेकर स्थानीय स्वयंसेवियों को साथ लेकर काम करने पर शिकार को रोकने संभव है.
-कुंदन हाते, पूर्व सदस्य
राज्य वन्यजीव मंडल