विदर्भ

बेमौसम बारिश के कारण भरी धूप में भी जंगल हराभरा

एक माह पूर्व ही जामुन आए बाजार में बिकने के लिए

धारणी/ दि. 30- इस बार बेमौसम बारिश के कारण भरी धूप में भी जंगल हराभरा हो गया है. नाले में बाढ आ गई है. जंगल के पोखरों में भरपूर पानी भर जाने से वन्यप्राणियों की प्यास भी बुझ रही है. अप्रैल-मई माह में जोरदार बारिश के कारण अनेक जंगल फूल पेडों में बहार आ गई है. हर बार बारिश शुरू होने के बाद ही जामुन खाने को मिलते है. किंतु इस बार बेमौसम बारिश के कारण महिनाभर पहले ही धारणी के बाजार में जामुन बिक्री के लिए आ गए है.
मेलघाट के जंगल में विविध प्रकार की वनस्पति पेड तथा सब्जियां पायी जाती है. अनेक औषधियां वनस्पति और अनेक प्रकार की घास वन फूल तथा फल होने से साल भर कोई ने कोई जंगली सब्जियां, जंगली फल व औषधी मिलती है. मधुमेह के शत्रु के रूप में पहचाना जाना वाला जंगली जामुन सेमाडोह जंगलसहित अनेक जगह पर समय से पूर्व पके हुए दिखाई दे रहे है.26 मई की शुक्रवार को धारणी के साप्ताहिक बाजार में एक आदिवासी के पास जामुन की टोपली देखकर खानेवाले को आश्चर्य हुआ. देखते ही देखते 20 रूपए पाव इस रेट से जामुन बेचे गये. विगत दो माह से अनेक बार बारिश होने से इस बार गर्मी को देखते- देखते ही निकल गया. बारिश जैसा वातावरण निर्माण होने से रोेहिणी नक्षत्र लगते ही जामुन पक गए है.
मेलघाट में जंगली जामुन आकार में छोटे होते है. परंतु औषधी गुणों से भरपूर होते है. मधुमेह के मरीजों के लिए मेलघाट के खट्टे मीठे बारीक जामुन एक रामबाण औषधी मानी जाते है. मेलघाट के छोटे जामुन के पेड प्राकृतिक स्वरूप में है. इस पेडों की टहनिया का उपयोग होता है. ग्रीष्मकाल में घर के सामने अथवा दुकान के सामने सनशेड पर जामुन की टहनियां डालकर छाया की जाती है. टहनी व पत्तियों की विशेषता यह है कि यह छाया और शीतलता देती है. चक्राकार हवाएं आने पर भी सूखी गई पत्तों की टहनिया नहीं उडती अथवा पत्तो का चुरा भी नहीं होता. इसलिए जामुन के टाकरे गर्मी का दुश्मन के रूप में पहचाना जाता है.

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