विदर्भ

बाघों की नसबंदी का मामला फिर चर्चा में

सीएम की बैठक की टिप्पणी वायरल

  • वन्यजीव क्षेत्र में जबर्दस्त हडकंप

नागपुर/दि.12 – बाघों की बढती संख्या पर नियंत्रण प्राप्त करने हेतु रासायनिक गर्भ निरोधकों का प्रयोग करने के संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा एक बार फिर विचार करना शुरू किया गया है. इसकी जानकारी सामने आते ही वन्यजीव क्षेत्र में एक बार फिर जबर्दस्त हडकंप मच गया है. विगत 3 जनवरी को एक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक की टिप्पणी में इस विषय का उल्लेख आने के चलते इसे लेकर एक बार फिर चर्चा की शुरूआत हो गई है.
बता दें कि, इन दिनों चंद्रपुर एवं आसपास के क्षेत्र में बाघों और इंसानों के बीच संघर्ष काफी अधिक बढ गया है. जिसके तहत बाघों द्वारा इंसानों सहित पालतु पशुओं पर हमला किये जाने की घटनाएं रोजाना घटित हो रही है. ऐसे में स्थानीय निवासियों द्वारा वन विभाग से आवश्यक कदम उठाने और इस स्थिति को टालने की मांग की जा रही है. ऐसी स्थितियों को देखते हुए करीब एक वर्ष पहले बाघों की बढती संख्या को नियंत्रण में लाने हेतु गर्भ निरोधकों का उपयोग करने की सिफारिश की गई थी. जिसका बडे पैमाने पर विरोध भी हुआ था. जिसकी वजह से यह विषय एक साल पहले ही पीछे छूट गया. किंतु 3 जनवरी को सीएम की बैठक के कार्यवृत्तांत में इस मुद्दे का दुबारा उल्लेख आने की वजह से अब नये सिरे से यह चर्चा शुरू हो गई है. इसके तहत वन्यजीव प्रेमियों द्वारा पूछा जा रहा है कि, क्या बाघों की नसबंदी करने का प्रयास वनविभाग द्वारा दुबारा शुरू किया गया है. जिस पर वनविभाग ने इन्कार करते हुए कहा है कि, फिलहाल ऐसा कोई प्रयास शुरू नहीं किया गया, बल्कि बाघों की संख्या को नियंत्रित करने हेतु अलग-अलग उपाय सुझाये गये है. जिसमें से एक उपाय के तौर पर रासायनिक गर्भनिरोधकों के प्रयोग की सिफारिश की गई. किंतु फिलहाल इसे लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. ऐसी जानकारी राज्य के वन्यजीव विभाग प्रमुख सुनील लिमये द्वारा दी गई है.

बैठक के वृत्तांत में कैसे शामिल हुई वह बात

जब वन विभाग द्वारा बाघों की नसबंदी करने का कोई विचार नहीं किया जा रहा, तो फिर मुख्यमंत्री के बैठक की टिप्पणी में इसका समावेश कैसे हुआ, इसे लेकर एक बडा ही मजेदार किस्सा इन दिनों बताया जा रहा है. जिसके मुताबिक विगत वर्ष हुई बैठक की टिप्पणियों के मुद्दों को इस बार की टिप्पणियों में जस का तस डाल देनेवाली खास ‘बाबुगिरी’ स्टाईल इसके लिए मुख्य तौर पर जिम्मेदार है. किंतु इस ‘कॉपी-पेस्ट’ की वजह से वन्यजीव क्षेत्र में जबर्दस्त हडकंप व संभ्रम निर्माण हुआ है.

अगले माह नागझिरा में आयेंगे बाघ

चंद्रपुर परिसर में बाघों की संख्या को नियंत्रित करने हेतु उनका स्थलांतरण करने का सुझाव भी दिया गया है. जिसके तहत ब्रह्मपुरी परिसर की 4 मादा बाघों को नवेगांव-नागझिरा में स्थलांतरित किया जायेगा. जिसके लिये आवश्यक तैयारियां भी शुरू की गई है और आगामी फरवरी माह में बाघों के स्थलांतरण की प्रक्रिया को पूर्ण कर लिया जायेगा. उल्लेखनीय है कि, जहां एक ओर नवेगांव-नागझिरा में बाघ नहीं रहने की वजह से वहां पर्यटकों की आवाजाही बेहद कम है. वहीं ब्रह्मपुरी परिसर में बाघों की संख्या बढने की वजह से वन्यजीवों व इंसानों के बीच टकराववाली स्थिति बढ रही है. इन दोनों समस्याओं पर उपाय के तौर पर नवेगांव-नागझिरा में बाघों को स्थलांतरित करने का निर्णय लिया गया है.

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