नागपुर/प्रतिनिधि दि.२३ – राज्य में बाघों की बढती संख्या को लेकर वन प्रेमियों के चहरे खिल उठे थे. किंतु पिछले तीन महिनों में 11 बाघों की मौत की जानकारी सामने आयी है. नए साल की शुरुआत में बाघिन के गर्भ में पल रहे तीन शावकों की मौत हो गई. वहीं उमरेड, कर्हांडला अभयारंण में बाघों द्बारा एक दूसरे पर किए गए हमले में दो बाघों के शावकों की मौत हो गई. इस तरह से बाघिन सहित चार शावकों की मौत जंगल में अस्तित्व की लडाई में किए गए हमले की वजह से हुई.
21 जनवरी को मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में एक बाघिन की मौत 27 जनवरी को चंद्रपुर जिले के भद्रावती वन क्षेत्र में एक बाघ की मौत तथा फरवरी महीने में दो बाघों की मौत के मामले सामने आए है. 8 फरवरी को वर्धा जिले में, 9 फरवरी को ताडोबा आंधारी व्याघ्र प्रकल्प में बाघों की मौत हुई थी. जिसमें तीन महीनों में 11 बाघों की मौत के मामले सामने आए है. 2018 से अब तक संपूर्ण देशभर में 300 बाघो की मौत दर्ज की गई जिसमें सर्वाधिक बाघों की मौत 88, मध्यप्रदेश में तथा दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र में 60 बाघो की मौत हुई. यह सभी मौते जंगल में बाघों द्बारा अस्तित्व की लडाई के चलते एक दूसरे पर हमला करने से हुई है.