विदर्भ

लॉकडाउन में पॉज बटन जैसी परिस्थिति का सामना करना होगा

उच्च न्यायालय में उठा लॉकडाउन लगाने का मुद्दा

  •  मनपा व चिकित्सकों ने दी अपनी राय

नागपुर प्रतिनिधि/दि.१६ – शहर में बढते संक्रमण को देखते हुए दोबारा लॉकडाउन लगाने के मामले पर मंगलवार के दिन मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में चर्चा की गई. एक मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मुकेश समर्थ ने कहा कि कोरोना संक्रमण काबु से बाहर हो रहा है, ऐसी स्थिति में लॉकडाउन लगाने पर विचार करना चाहिए. इसपर न्यायमूर्ति रवि देशपांडे व न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला की खंडपीठ ने मनपा आयुक्त राधाकृष्ण बी. से उनकी राय पूछी. निगमायुक्त ने स्पष्ट कहा कि वे लॉकडाउन के पक्ष में नहीं है क्योकि लॉकडाउन केवल विपत्तियों को आगे बढाने का काम करेगा, इससे समस्याएं और अधिक बढेगी.

अदालत ने पूछा तीन दिन का लॉकडाउन हो तो…
अदालत ने फिर से प्रश्न किया कि मौजूदा स्थिति हाथ से फिसलती दिखाई दें रही है. मरीजों को बेड नहीं मिल रहे है, अस्पतालों में स्टॉफ कम है, स्मशान घाट में कतारे लग रही है, अगर ट्राइल बेसिस पर तीन दिन के लिए लॉकडाउन लगाया जाए तो ्नया इससे हमारे अस्पतालों, चिकित्सकों और टीम को कुछ दिन की राहत मिलेगी. सुनवाई के समय उपस्थित मेयो अस्पताल के अधिष्ठाता ने कहा कि तीन दिन या सात दिन का लॉकडाउन किसी फायदे का नहीं है, इससे अस्पताल का लोड कम नहीं होगा.उलट स्थिति बिगडेगी, मरीज अस्पताल को रिपोर्ट करने में देर करने लगेंगे. अस्पताल का भार हल्का करने के लिए कम से कम १४ दिन का लॉकडाउन होना चाहिए. कोर्ट ने सभी पक्षों की राय सुनने के बाद १७ सितंबर को होने वाली सुनवाई में लॉकडाउन पर अपनी-अपनी भूमिका तैयार रखने के आदेश दिये है.

मनपा ने कहा चिकित्सकों को नहीं मिल रहा सहयोग
मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में कोरोना पर केंद्रीत स्यू-मोटो जनहीत याचिका पर सुनवाई ली गई. इस दौरान मनपा के अधिवक्ता सुधीर पुरानिक ने आईएमए पर नाराजी जाहीर करते हुए कहा कि आईएमए ने ३ हजार ८०० चिकित्सकों की फोन डायरेक्ट्री धमा दी है. यह नहीं बताया कि कौन-कौन से चिकित्सक कोरोना में सेवाएं देने के लिए तैयार है. इसके उलट अगर आईएमए में १०० ऐसे चिकित्सकों की सूची दें, जो वास्तव में सेवाएं देने को तैयार है तब कोई मदद हो सकती है.

मुख्य सचिव हाजीर हो
निगमायुक्त ने अदालत में कोरोना इलाज की सुविधाओं की जानकारी दी. बताया कि मौजूदा संसाधनों में मनपा लगातार ए्नसीजीनेटेड बेड बनाने का प्रयास कर रही है. पिछले सप्ताह नागपुर में ७०० बेड का जम्बो अस्पताल बनाने का सुधारित प्रस्ताव भेजा जा चुका है. अब गेंद सरकार के पाले में है. इसपर अदालत ने राज्य मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में हाजीर होने के आदेश दिये. अधिवक्ता एम.अनिलकुमार ने अदालत को सुझाव दिया कि मौजूदा परिस्थिति में रेलवे अस्पतालों की सेवाएं ली जा सकती है, जहां पर बेड व अन्य सुविधाएं है, इसपर अदालत ने मनपा आयुक्त को १७ सितंबर के दिन अपनी भूमिका स्पष्ट करने के आदेश दिए है.

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