विदर्भ

3 बच्चे होने का कह कर नामांकन आवेदन नकारना गलत

मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने आदेश में किया स्पष्ट

* ग्रामपंचायत सदस्य सिविल सिनियर डिविजन कोर्ट में कहना रख सकते है
नागपुर/दि.22 – याचिकाकर्ता के पहले बच्चे का निधन होने के बाद दो बच्चे अस्तित्व में रहने के कारण ग्रामपंचायत सदस्य चुनाव का नामांकन आवेदन नकारा नहीं जा सकता, ऐसा मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है. याचिकाकर्ता को चुनाव निर्णय अधिकारी के सामने पहला बच्चा नहीं रहा यह बात स्पष्ट करते नहीं आया. जिसके कारण याचिकाकर्ता सिविर सिनियर डिविजन न्यायालय मेें उनका कहना रख सकते है और उसके लिए वे उचित सबूत भी पेश कर सकते है.
हितेश वाडेकर यह याचिकाकर्ता ग्रामपंचायत सदस्य का नाम है. 2020 में वाशिम जिले के सेलू बाजार, ग्रामपंचायत ने चुनाव घोषित किया. इस चुनाव में वार्ड क्रं. 3 में वाडेकर ने नामांकन दायर किया. नामांकन पत्र में घोषित किया था कि, उनके दो ही बच्चे है. इस पर उनके नामांकन पत्र पर आक्षेप लिया गया था कि, प्रत्याशी के तीन बच्चे होने के कारण वे अपात्र है, परंतु वाडेकर के दो ही बच्चे है, उनके एक बच्चे का निधन हो गया. यह उल्लेख नामांकन के आवेदन में नहीं था. चुनाव निर्णय अधिकारी ने तीन बच्चे होने के कारण वाडेकर का नामांकन आवेदन स्वीकार नहीं किया. जिसके कारण उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. उच्च न्यायालय ने वाडेकर को अंतरिम राहत देते हुए चुनाव में शामिल होने की अनुमति दी. वे चुनाव में सदस्य पद पर चुनकर भी आए.
इस बीच मुंबई उच्च न्यायालय के फुल बेंच ने फैसला दिया था कि, नामांकन आवेदन के खिलाफ याचिका दायर नहीं कर सकते. उच्च न्यायालय के पूर्व बेंच ने सुनाए फैसले के अधिन रहकर नागपुर उच्च न्यायालय के एक पीठ ने वाडेकर की याचिका नकारकर उन्हें मंगरुलपीर सिविल सिनियर डिविजन न्यायालय में याचिका दायर करने की सुविधा उपलब्ध करवाई. सिविर न्यायालय में उन्होंने याचिका दायर की. उनकी याचिका अदालत ने नकार दी. सिविल न्यायालय के निर्णय के खिलाफ वाडेकर ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका मंजूर करते हुए आदेश दिया कि, वाडेकर को चुनाव निर्णय अधिकारी के समक्ष पहले बच्चे का निधन हो चुका है, यह बात वे सई ढंग से नहीं रख पाए. इस वजह से वाडेकर सिविल सिनियर डिविजन न्यायालय में उनका कहना रख सकते है और उसके लिए उचित सबूत भी पेश कर सकते है. उच्च न्यायालय के ऐसे भी समझ में आया कि, वाडेकर के पहले बच्चे का निधन होने के कारण नामांकन पेश करने के दिन दो बच्चे होने के कारण याचिकाकर्ता अपात्र नहीं होता. तीन बच्चे होने का कहकर नामांकन आवेेदन नामंजूर करना गलत है, ऐसा भी उल्लेख उच्च न्यायालय ने किया है. हितेश वाडेकर की ओर से एड. तेजस देशपांडे ने दलिले पेश की. उन्हें एड. अल्पेश देशमुख ने सहयोग किया.

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