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नागपुर /दि.12– बुलढाणा जिले के नांदूरा पुलिस ने जालसाजी के प्रकरण के महत्वपूर्ण सबूतों के मूल दस्तावेज गायब करने की गंभीर घटना सामने आयी है. इस कारण मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता शंकर मोटवानी को 3 लाख रुपए नुकसान भरपाई क्यों अदा न की जाये? ऐसा सवाल करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी कर 11 मार्च तक शपथपत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिये है. साथ ही यह रकम दोषी अधिकारी से वसुल की जा सकती है, ऐसा भी स्पष्ट किया है.
इस प्रकरण पर न्यायमूर्ति नितिन सांबरे व न्यायमूर्ति वृशाली जोशी के समक्ष सुनवाई की. यशपाल जानवानी, दिगांबर रामचंदानी, विजय आहूजा और उनके साथियों ने बैंक के कोरे अर्जी पर मोटवानी के हस्ताक्षर लेकर 4 लाख 30 हजार रुपए कर्ज उठाया. इसके अलावा अर्जी के साथ जुडे अन्य दस्तावेजों पर मोटवानी के फर्जी हस्ताक्षर किये, ऐसा आरोप है. प्रथम श्रेणी न्यायदंडाधिकारी न्यायालय ने 25 मार्च 2009 को दिये आदेश के मुताबिक नांदूरा पुलिस ने आरोपी के खिलाफ जालसाजी और अन्य संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की. जांच के दौरान कर्ज का आवेदन, अन्य दस्तावेज और आरोपी सहित मोटवानी के हस्ताक्षर के नमूने जब्त किये. पश्चात वह नमूने 8 अप्रैल 2010 को राज्य को सीआईडी के हस्ताक्षर विशेषज्ञ व सरकारी दस्तावेज परीक्षक के पास भेजकर रिपोर्ट मांगी गई. लेकिन 14 साल बितने के बावजूद हस्ताक्षर जांच रिपोर्ट प्रथम श्रेणी न्यायदंडाधिकारी न्यायालय में प्रस्तुत नहीं की गई. इस कारण मोटवानी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है.
* एएसपी ने जांच रिपोर्ट सौंपी
उच्च न्यायालय द्वारा मामला गंभीरता से लिये जाने के बाद इस प्रकरण की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के जरिए जांच की गई. उन्होंने हस्ताक्षर के दस्तावेज गायब होने की रिपोर्ट भी उनके द्वारा प्रस्तुत की गई जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी अधिकारियों पर कौन सी कार्रवाई की जाने वाली है, इसकी जानकारी भी न्यायालय ने मांगी है. रिपोर्ट में जांच अधिकारी का बर्ताव संदेहास्पद दिखाई देता है, ऐसा आरोप मोटवानी के वकील एड. मीर नगमान अली ने किया. उच्च न्यायालय उसमें तथ्य दिखाई दिये है.