विदर्भ

तुअर की कीमत घटी लेकिन दाल की कीमत बढी

आयात को समयावृध्दि देने का परिणाम

रोहना (वर्धा)/ दि. २३- केन्द्र सरकार तुअर के आयात को ३० सितंबर तक समयावृध्दि दिए जाने से बाजार में रोज तुअर के भाव कम होते हुए दिखाई दे रहे है. ७ हजार रूपये प्रति क्विटंल तक गये तुअर के भाव हाल ही में ५ हजार ५०० से ६ हजार रूपये भाव मिल रहा है. परंतु उसी समय तुअर दाल की कीमत ९० रूपये से ११५ रूपये प्रतिकिलो हो गई है. बाजार में यह अर्थचक्र विसंगत होने से किसानों के लिए हानिकारक तथा व्यापारियों के लिए लाभदायक है.
३१ मार्च को तुअर आयात की मुदत खत्म होने से मार्च महिने में तुअर के भाव ७ हजार रूपये तक पहुंच गये थे. ३१ मार्च के बाद आयात की मुदत खत्म होगी और इस बार तुअर का उत्पादन कम होने से भाव बढेगे, ऐसा अनुमान किसानों को था. इसलिए उन्होंने तुअर की बिक्री भी रोकी थी. परंतु ग्राहको को तुअर दाल के भाव बढने की आर्थिक परेशानी सहन करनी पडेगी व सामान्य ग्राहक आपत्ति जतायेंगे. ऐसा कारण सामने रखकर केन्द्र सरकार ने ३१ मार्च को खत्म होनेवाली आयात की मुदत ३० सितंबर तक बढाई. परिणामस्वरूप तुअर के भाव में महिने भर में एक हजार रूपये से घट गई. तुअर से बननेवाली दाल भी सस्ती होना अपेक्षित होने पर दाल की कीमत में २५ रूपये किलो से बढ गई है. इस आयात को समयावृध्दि दिए जाने से किसानों को लाभ होने के बदले बडे प्रमाण में हानि होने की चर्चा हो रही है.

* आयात की समयावृध्दि तत्काल रद्द करे
१०० किलो तुअर से ६५ किलो उच्च क्वालिटी की दाल बनती है. उसी प्रकार ३० किलो चुरा और कोंडा और ५ किलो कचरा निकलता है. इसका हिसाब करने पर ६५ किलो दाल के ७ हजार ४०० रूपये होते है तथा चूरा और कोंडे के १ हजार रूपये पकडकर ८ हजार ४०० रूपये होते है. इससे दाल बनाने के लिए लगनेवाला १ हजार ४०० रूपये खर्च का हिसाब लगाने पर ७ हजार रूपये भाव मिलना अपेक्षित है. परंतु शासन और व्यापारी की श्रृंखला के कारण किसानों को अपेक्षित भाव नहीं मिलता. जिसके कारण शासन ने आयात के लिए दी गई समयावृध्दि तत्काल रद्द करे.ऐसी मांग जनमंच के कार्यकर्ता दिलीप पांडे ने की है.

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