विदर्भ

मोर्शी में जानबुझकर गिराया हल्दी का भाव

5 हजार की बोली लगाई, काटे पर साढे तीन हजार के दाम दिये

* हल्दी उत्पादक किसान ने मंडी प्रशासन से की शिकायत
मोर्शी/ दि.19 – स्थानीय कृषि उत्पन्न बाजार समिति में 17 जनवरी को 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल की बोली लगाकर खरीदी गई हल्दी की प्रत्यक्ष काटे पर तुलाई होते समय वह हल्दी 3 हजार 500 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर मांगी गई. इसपर आपत्ति उठाते हुए राजकुमार जयस्वाल नामक हल्दी उत्पादक किसान ने बाजार समिति के पास लिखित शिकायत दर्ज कराई. जिसके बाद संबंधित व्यापारी तय हुई रकम के अनुसार ही माल की तुलाई के लिए तैयार हुआ.
जानकारी के मुताबिक मोर्शी फसल मंडी के मंगलवार को लगने वाले साप्ताहिक बाजार में तलणी निवासी राजकुमार मेघराज जयस्वाल नामक किसान ने एक अडत के यहां 5 कट्टे हल्दी बेचने हेतु लाई थी. सुबह 8 बजे 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल की बोली लगाकर उसकी हल्दी को खरीदा गया, लेकिन दोपहर 2 बजे इसी हल्दी को 3 हजार 500 रुपए प्रति क्विंटल के दाम पर मांग कर उसकी मूल बोली में तुलाई करने से मना कर दिया. जिसके बारे में पूछताछ करने पर अडत व्यवसायी ने बताया कि, किसान की तरह व्यापारी भी माल लेने से इंकार कर सकता है. लेकिन सुबह अलग भाव देकर किसान को बैठाए रखते हुए दोपहर में किस हिसाब से कम भाव देकर माल लेने से इंकार किया जा सकता है. इस आशय का सवाल पूछते हुए राजकुमार जयस्वाल ने मंडी सचिव लाभेश लिखितकर के पास लिखत तौर पर शिकायत दर्ज कराई. पश्चात मंडी सचिव ने संबंधित अडत व्यवसायी को बुलाया और उसे मूल बोली के अनुसार कृषि उपज की तुलाई व खरीदी करने हेतु कहा.
उल्लेखनीय है कि, किसानों की कृषि उपज को न्युनतम समर्थन मूल्य का संरक्षण मिले, इसके लिए बाजार समिति को अस्तित्व लाया गया और किसानों को संरक्षण देने हेतु कई कानून भी बनाए गए. लेकिन कई बार किसानों को उन कानूनों के बारे में जानकारी नहीं होती. जिसके चलते किसानों को इस बारे में जागरुक किये जाने की सख्त जरुरत है ताकि उनका आर्थिक शोषण न हो सके.

अन्यों ने चुपचाप स्वीकारे कम दाम
जयस्वाल के मुताबिक इसी तरह का मामला कुछ अन्य किसानों के साथ भी घटित हुआ, लेकिन उन्होंने कोई शिकायत दर्ज नहीं करते हुए चुपचाप कम दामों में अपनी कृषि उपज काटे पर तुलाई हेतु दे दी. चुकि किसानों व्दारा नियमानुसार शिकायत दर्ज नहीं कराई जाती है. जिसकी वजह से अडतों व व्यापारियों के बीच अच्छी-खासी मिलीभगत चलती है.

एक किसान की शिकायत प्राप्त हुई थी. उसका माल भी खराब नहीं था, ऐसे में संबंधित अडत व्यवसायी को बुलाकर मूल बोली में माल खरीदने की ताकीद दी गई. किसानों को गारंटी मूल्य के अनुसार योग्य दाम मिले, इसके लिए कई नियम व कानून है. जिनका किसानों ने अध्ययन करते हुए जानकारी रखनी चाहिए ताकि उनपर कोई अन्याय न हो.
– लाभेश लिखितकर,
सचिव, मोर्शी कृउबास

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