विदर्भ

प्राचीन मूर्तियों पर वज्रलेप की प्रक्रिया पूर्ण

प्रतिमाएं आगामी 100 साल के लिए हुई संरक्षित

  • श्री दिगंबर जैन ग्लोबल महासभा का मार्गदर्शन

नांदगांव खंडेश्वर/दि.21 – यहां के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर के मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान व श्री आदिनाथ भगवान की प्राचीन प्रतिमा पर वज्रलेप प्रक्रिया पूरी हुई. करीबन पांच दिनों तक प्राचीन प्रतिमाओं पर वज्रलेप की प्रक्रिया जारी रही. हजारों वर्षों की यह प्रतिमाएं काल के प्रवाह में जर्जर होने की कगार पर थी. जिसे देखते हुए व जैन धर्म की प्राचीनता टिकी रहने हेतु दिगंबर जैन समाज ने यह निर्णय लिया था. करीबन हजारों साल पुरानी भगवान आदिनाथ व भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा का संरक्षण वज्र लेप से किया गया. नमोकार तीर्थ प्रणेता आचार्यश्री देवनंदीजी महाराज की प्रेरणा से शुरु हुए इस संरक्षण कार्य में कर्नाटक के सदलगा से वैज्ञानिक और इंजीनियर संजय उदगावे द्वारा लगातार 5 दिनों में इन दोनों मूर्तियों का संरक्षण वज्र लेप से किया. इसके बाद छिद्रों से घिरी यह प्रतिमाएं आगामी 100 साल के लिए संरक्षित हो गई.
पाषाण निर्मित इस मूर्ति का कई वर्षों से लगातार जलाभिषेक के चलते मूर्ति में जगह-जगह छिद्र हो गए थे. जिससे इसके संरक्षण हेतु ट्रस्ट कमेटी ने श्री दिगंबर जैन ग्लोबल महासभा के पारस लोहाडे के मार्गदर्शन में आचार्यश्री देवनंदीजी महाराज की प्रेरणा से ली.जिसमें उन्होंने कहा था कि मूर्ति को क्षरण से रोकना है तो इसका केमिकल ट्रीटमेंट अर्थात वज्र लेप होना अनिवार्य है. बोरगांव मंजू निवासी सुनील कुमार वाड़ेवाले एवं नांदगांव खंडेश्वर निवासी प्रणय और प्रसन्नकुमार सव्वालाखे के आर्थिक सहयोग से अब यह प्राचीन मूर्तियां लंबे समय तक संरक्षित हो गई है.

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