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पीडित परिवार को 8 लाख रुपए मुआवजा देने के आदेश
नागपुर/दि.4 – रेल यात्रा के लिए टिकट निकालने पर गलत ट्रेन में बैठने वाले यात्री के साथ यदि दुर्घटना या मृत्यु होती है, तो पीडित परिवार को मुआवजे का अधिकार है. यात्री के पास सही टिकट नहीं था, इस बहाने का उपयोग करके रेलवे प्रशासन अपना पल्ला नहीं झटक सकता. इस निरीक्षक के साथ बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे महाव्यवस्थापक को पीडित परिवार को 8 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है. मुन्नीबाई चौबे (54, तुमसर) द्बारा दायर याचिका पर न्या. अनुजा प्रभुदेसाई की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है.
याचिका में कोर्ट को बताया गया था कि, 12 दिसंबर 2012 को उनका बेटा विक्की लोकमान्य तिलक हावडा ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस से नागपुर से तुमसर आ रहा था. मुंडीकोटा रेलवे स्टेशन के पास हुई दुर्घटना में उसकी मौत हो गई. इस मामले में रेलवे न्यायाधिकरण ने मुन्नीबाई की मुआवजे की अर्जी ठुकरा दी. जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली. हाईकोर्ट में रेलवे ने यह दलील दी कि यात्री के पास जो टिकट मिला वह लोकमान्य तिलक हावडा ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस का नहीं था. जिसके कारण उसे बिना टिकट यात्री माना गया. लेकिन हाईकोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया. इस संभावना को माना कि हो सकता है काउंटर से टिकट निकालने के बाद उसने गलत ट्रेन पकडी हो. रेलवे यात्रियों को गलत ट्रेन पकडने से बचाने के लिए सूचना फलक रेलवे सुरक्षा रक्षक या टिकट चेकर के डर से वह भागा हो और दुर्घटना का शिकार बना हो, यह भी हो सकता है. ऐसे में पीडित के परिवार को 8 लाख रुपए मुआवजा दिया जाना चाहिए.