विदर्भ

बिजली की अमानत राशि अब होगी दोगुना

सरकार व्दारा बिजली उपभोक्ताओं बडा झटका

  • बिजली नियामक आयोग ने तैयार किया प्रस्ताव

नागपुर/दि.10 – सरकार व्दारा कुछ ही दिनों में बिजली उपभोक्ताओं को बडा झटका लगने वाला है. बिजली बिल की अमानत राशि में बेढोतरी कर दोगुना करने की तैयारी राज्य बिजली नियामक आयोग ने शुरु की है. इसके लिए एक प्रस्ताव भी तैयार किया गया है.
राज्य बिजली नियामक आयोग व्दारा बिजली बिल की (सिक्युरिटी डिपोजिट) अमानत राशि में वृध्दि करने का प्रस्ताव तैयार किया है. जिसके चलते बिजली बिल की अमानत राशि में बढोतरी होकर वह राशि दोगुना हो सकती है और उपभोक्ताओं को एक माह के बिल के बदले में दो माह के बिल की राशि महावितरण के पास जमा करनी होगी. इतना ही नहीं तो बिल जनरेट होते ही पांच दिनों के भीतर महावितरण को उपभोक्ताओं तक बिजली बिल पहुंचाने की जिम्मेदारी महावितरण की होगी. इसके अलावा पांच हजार रुपए तक की नगद राशि भुगतान कर सकेंगे. राज्य बिजली नियामक आयोग ने बिजली आपूर्ति सेवा सुधारित कृति मानक (एसओपी) के माध्यम से उपरोक्त प्रस्ताव जारी किया है.
बिल वसूली के लिए बिजली आपूर्ति खंडित करने के लिए बिल में उल्लेख नहीं करते हुए 15 दिनों की स्वतंत्र पूर्वसूचना (एसएमएस, वाट्सएप तथा ई-मेल) भेजना जरुरी है. बिजली मीटर की कीमत अब महावितरण को ही अदा करनी है, उपभोक्ताओं से मीटर का शुल्क नहीं वसूलने का प्रस्ताव भी किया है. प्रस्ताव में यह भी बताया गया है कि बिजली मीटर ठीक से नहीं चल रहा है तथा कोई गडबडी या खराबी है तो इसके लिए महावितरण ही जिम्मेदार रहेगा.
महावितरण को बिल तैयार के दिन ही वेबसाइड पर उपलब्ध कराना अनिवार्य किया गया है. नए प्रस्ताव के अनुसार बिल जारी होने के दिन से पांच दिन के भीतर ग्राहकों को बिल मिलना चाहिए, इस प्रस्ताव से बिल देरी से मिलने की शिकायतों पर पाबंदी लग सकेगी.

आपत्ति, सुझाव की अंतिम तारीख 29 तक

एसओपी में कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान प्रस्तावित किए गए हैं. उपभोक्ताओं की सुविधा तथा अन्य जानकारी के लिए यह प्रस्ताव पेश किया गा है. 29 दिसंबर तक इस प्रस्ताव पर आपत्ति, सुझाव और जानकारी मांगी गई है. फिलहाल, ग्राहकों को गत वर्ष के एक महीने का औसत बिल की राशि महावितरण के पास जमा रहती है. इस पर महावितरण व्दारा हर साल ब्याज भी दिया जाता है. अमानत रकम की राशि अब दोगुनी करने की शिफारिश की गई है. इतना ही नहीं तो अब तक बिल भरने के लिए 21 दिन की समयावधि दी जाती थी, इसके बाद भी बिल नहीं भरने पर 15 दिनों का नोटिस देना पडता है, इस प्रकार बिल भुगतान में एक माह से अधिक का वक्त लगता है. यह देखते हुए अब नए प्रस्ताव अमल में आने के बाद दो महीने का बिल जामर करनाा होगा.

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