विदर्भ

बेटे ने कहा पप्पा के साथ नहीं रहना

विवाद उच्च न्यायालय पहुंचा

* पति-पत्नी के विवाद का खामियाजा भुगतते है बच्चे
नागपुर/ दि.31 – पति-पत्नी के विवाद से केवल उनका रिश्ता ही बर्बाद नहीं होता है, बल्कि उनके बच्चों के जीवन पर भी विपरित परिणाम होता है. ऐसे ही एक मामले में 9 वर्षीय बालक के मन पर आघात हो रहा है. पति-पत्नी में बालक को हथियाने को लेकर विवाद शुरु है. यह विवाद उच्च न्यायालय में पहुंचा, मगर बालक ने पापा के साथ नहीं रहना है, ऐसा कहा. वह जन्म से मां के साथ ही रहता है.
गर्मी की छुट्टी में बालक को हर माह के तीसरे शनिवार रातभर पिता के साथ रहने दे, ऐसा आदेश पारिवारिक न्यायालय ने दिया था. उस आदेश के खिलाफ मां ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की. इस मामले में सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने बालक की इच्छा जानी. इस समय उसने पिता के साथ नहीं रहने की बात कही. इस वजह से उच्च न्यायालय ने पारिवारिक न्यायालय के विवादित आदेश को खारिज कर दिया. इसी तरह पिता को नोटीस देकर इसपर दो सप्ताह में जवाब देने के आदेश दिये है.

पिता पर आरोप
पिता की जीवनशैली विलासी है. वे वन पर्यटन के लिए लगातार देश विदेश में घुमते रहते है. उन्हें बच्चों की चिंता नहीं. इस वजह से वे बच्चे की पढाई के लिए खर्च नहीं देते, इसके अलावा उन्होंने बकाया खानापूर्ति के करीब 13 लाख रुपए नहीं दिये. ऐसे व्यक्ति के पास बालक को रहने नहीं दे सकती, ऐसा मां का कहना है. मां की ओर से एड. प्रकाश नायडू, एड.सुरभी नायडू ने दलीले पेश की.

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