जन्मदाता को प्रताडित करने वाले बेटे को घर से बाहर निकालना चाहिए
उच्च न्यायालय का सबक सिखाने वाला फैसला
नागपुर/दि.29 – जन्मदाता माता-पिता की पूजा, उनकी सेवा करने, उनके जीवन में आनंद भरने की भारतीय संस्कृति है, परंतु इस बात को भुलने लगे है, ऐसे बच्चे कही न कही देखने को मिलते है. ऐसे ही एक लडके को सबक सिखाने वाला काफी महत्वपूर्ण फैसला मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने सुनाया. जन्मदाता को घर में रखकर उस प्रताडित करने वाले बेटे को घर से बाहर भगाना चाहिए, जिससे जन्मदाता को आगे की जिंदगी सुरक्षित वातावरण में जीना आसान होगा, ऐसा अदालत ने फैसले में कहा.
बेटे ने घर के तीन कमरे कब्जे में लिये थे
पीडित पालक हंसापुरी क्षेत्र में रहते है. पिता 78 और मां 65 वर्ष की है. उनके एक बेटे ने घर के तीन कमरे जबर्दस्ती अपने कब्जे में कर लिये. पालकों ने अत्याचारी बेटे से घर खाली कराने के आदेश देने की मांग की थी. 21 जनवरी 2020 को न्यायाधिकरण वह आवेदन मंजूर किया, जिसके कारण लडके ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. उच्च न्यायालय ने इस मामले की गहन जांच कर नायाधिकरण के आदेश कायम रखने का फैसला न्यायमूर्ति रोहित देव ने सुनाया.
घर से बाहर निकाले बगैर ठिक नहीं हो सकता
– लडके को घर से बाहर निकाले बगैर पालक का मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य ठिक नहीं रह सकता.
– पालकों को सुरक्षित व समाधानकारक वातावरण मिलने के लिए नैतिकताहीन लडके को घर से बाहर निकालना कोई गलत नहीं है. कानून के अनुसार न्यायाधिकरण को उस लडके को घर से निकालने का आदेश देने का अधिकार है.