विदर्भ

राज्य सरकार बेहरी हो गई है- उच्च न्यायालय

नागपुर/प्रतिनिधि दि.७ – रेमडेसिविर की उपलब्धता, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर आदि की समस्या दूर करने के लिए अनेक आदेश दिए. किंतु वह सभी दस्तावेज पर आधारित है. राज्य सरकार की ओर से स्थानीय प्रशासन को कोई भी मदद नहीं की जाती. राज्य सरकार बेहरी हो गई है. ऐसा दिखाई देता है, ऐसा मत उच्च न्यायालय ने व्यक्त किया.
शहर व विदर्भ में कोविड व्यवस्थापन संबंध मेें उच्च न्यायालय ने स्वयं दर्ज की गई जनहित याचिका में सुनवाई दौरान न्यायालय ने यह मत व्यक्त किया. उसी प्रकार मनपा व जिलाधिकारी कार्यालय ने स्थापित किए सीसीआर की कार्यप्रणाली संबंध में अधिक स्पष्टता आना आवश्यक है, ऐसा न्यायालय ने कहा. अब मरीजों की भर्ती सीसीआय द्वारा ही होगी. किंतु एकाध मरीज के पास अस्पताल का बिल भरने को पैसे न होने पर वह क्या करे? ऐसी स्थिति में मनपा अथवा राज्य सरकार स्वयं कोविड निधि से पैसे भरकर बाद में वह मरीज से वसूल करेगी क्या?, ऐसा सवाल न्यायालय ने किया है.
उसी प्रकार पलंग का वितरण, बिल, पलंग की कमी इन सभी बातों में स्पष्टता लाने का आदेश न्यायालय ने दिया. इसके अतिरिक्त न्यायालय ने केन्द्र सरकार को रेमडेसिविर की आपूर्ति संबंध में पुन: विचार करने का बताया था. केन्द्र सरकारनुसार फिलहाल स्थिति को देखकर राज्य में मरीजों की संख्या को ध्यान में रखकर रेमडेसिविर की आपूर्ति की जा रही है. किंतु राज्य को अधिक रेमडेसिविर की जरूरत महसूस होने पर वह उपलब्ध कर देने का आश्वासन केन्द्र ने दिया है.
इसके अतिरिक्त विदर्भ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन को इस मामले में प्रतिपादी किया गया है. व्हीआयए ने २०२०-२१ में अनेक कंपनियों ने अपने नफे से सीएसआर निधि खर्च करने की जानकारी है. उस पर उच्च न्यायालय ने उपलब्ध कंपनी निहाय सीएसआर निधि व खर्च किया जानेवाले निधि की जानकारी प्रस्तुत करने के आदेश दिए. उसी प्रकार व्हीआयएच के सदस्य कंपनी के पास कितने ऑक्सीजन सिलेंडर है. इसकी भी जानकारी प्रस्तुत करने का बताया. एड. श्रीरंग भांडारकर ने न्यायालय मित्र के रूप में मनपा की ओर से एड. सुधीर पुराणिक, केन्द्र सरकार की ओर से एड. उल्हास औरंगाबादकर, मध्यस्थी आवेदक की ओर से एड. एम.अनिल कुमार , अॅड.तुषार मंडलेकर काम देख रहे है.

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