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* मध्य रेल्वे के प्रकल्पों को 3 लाख रुपए का पुरस्कार
नागपुर /दि.15- बारिश के कारण पटरियों पर पानी जमा हो गया, तो अनेक बार ट्रेनों की रफ्तार कम करनी पडती है और इसका परिणाम रेल यातायात पर होता रहता है. लेकिन मध्य रेल्वे ने विकसित की वॉटरप्रूफ मशीन के कारण अब पटरी पर जमा पानी से ट्रेन को मार्ग निकालते आएगा, ऐसी जानकारी मध्य रेल्वे के महाव्यवस्थापक धरमवीर मीना ने दी. नागपुर विभाग के बल्लारशा, चंद्रपुर, वर्धा, हिंगणघाट, नागपुर मार्ग पर स्टेशन परिसर का मीना ने शुक्रवार को जायजा किया. पश्चात वे पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
भारतीय रेल्वे की तरफ से नई कल्पनाओं को प्रोत्साहन देकर प्रोत्साहित किया जाता है. इस बार मध्य रेल्वे के प्रयोग को 3 लाख रुपए का पहला पुरस्कार मिला है. विशेष यानि मुंबई में बारिश के मौसम में पटरी पर पानी जमा होने से लोकल सेवा चरमरा जाती है. ट्रेन चलते समय उसकी लुप लाइन बदलनी पडती है. यह काम प्वॉईंटर मशीन करती है. लेकिन बारिश का पानी इस मशीन में घुसा तो लुप लाइन बदलना कठीन हो जाता है और इसका परिणाम रेल यातायात पर होता है. लेकिन मध्य रेल्वे ने केवल 800 से 1000 रुपए में वॉटरप्रूफ प्वॉईंट मशीन तैयार की. इस कारण यह मशीन पानी में भी रही, तो लुप लाइन बदलने का काम हमेशा की तरफ शुरु रहता है. इसी प्रयोग को पहला पुरस्कार मिलने की जानकारी महाव्यवस्थापक ने दी. इसके अलावा चलती ट्रेन में किसी कोच में पानी समाप्त हो रहा है. यह पहले से सूचित करने की व्यवस्था विकसित करने के प्रयोग बाबत मध्य रेल्वे को द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है. वन्य प्राणी अथवा मवेशी पटरी पर आने की घटना अनेक बार घटित होती है. लेकिन रेल्वे बोर्ड के निर्देशानुसार पटरी के दोनों तरफ सुरक्षा दीवार निर्माण करने का कार्य जारी रहने की जानकारी भी मीना ने दी. नागपुर के डीआरएम विनायक गर्ग, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य व्यवस्थापक अमन मित्तल, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी डॉ. स्वप्निल नीला, के. के. मिश्रा, कृष्णाथ पाटिल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे.
* वंदे मातरम के स्लीपर कोच जल्द
मध्य रेल्वे ने अनेक मार्ग पर वंदे मातरम एक्सप्रेस दौड रही है. लेकिन किस मार्ग पर स्लीपर कोच वंदे मातरम दौडेगी, यह अभी निश्चित नहीं हुआ है. स्लीपर कोच अभी आना बाकी है. वह आने के बाद इस पर निर्णय होगा. ऐसा धरमवीर मीना ने स्पष्ट किया. अनेक बार ट्रेन के इंजन में कुछ खराबी आ जाती है. वह छोटी रही तो भी लोको पायलट को भी दुरुस्त करते आ सके, इसके लिए विशेष पुस्तिका तैयार की गई है. साथ ही रेल पटरी का फ्रेक्चर खोजने के लिए अल्ट्रा साउंट प्रणाली नागपुर विभाग ने विकसित की है, ऐसी जानकारी भी मीना ने दी.