ससुरालियों के खिलाफ निराधार आरोपों की प्रवृत्ति बढी
दहेज संबंधी मामले में हाईकोर्ट का स्पष्ट निरीक्षण
नागपुर/दि.4 – इन दिनों महिलाओं द्वारा घरेलू विवाद के मामलों को लेकर पति सहित ससुराल पक्ष के सभी रिश्तेदारों के खिलाफ निराधार आरोप लगाये जाने की प्रवृत्ति काफी अधिक बढ गई है. इस आशय का स्पष्ट निरीक्षण मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने दहेज से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान दर्ज कराया. साथ ही विभिन्न कानूनी पहलुओं को देखते हुए अमरावती जिला निवासी चंदेल परिवार के खिलाफ दर्ज अपराध और मामले को अवैध करार देते हुए रद्द भी कर दिया.
न्या. विनय देशपांडे व न्या. अमित बोरकर की द्वि सदस्यीय खंडपीठ ने उपरोक्त फैसला सुनाने के साथ ही कहा कि, ऐसे मामलों में कानून का दुरूपयोग न हो. इसके लिए आरोपों की बेहद सूक्ष्म तरीके से जांच-पडताल करना आवश्यक है. इस मामले में आरोप था कि, चंदेल परिवार ने सगाई होने के बाद 5 लाख रूपये का दहेज मांगा और दहेज की रकम नहीं देने पर विवाह तोडने की धमकी दी और वधू पक्ष द्वारा रकम देने में असफल रहने पर विवाह तोड भी दिया. जिसके बाद वधू की मां द्वारा 6 जून 2020 को परतवाडा पुलिस थाने में दी गई शिकायत के आधार पर चंदेल परिवार के खिलाफ दहेज प्रतिबंधात्मक अधिनियम की धारा 4 व भादंवि की धारा 506 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की गई. साथ ही 22 सितंबर 2020 को अचलपुर के प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी के समक्ष आरोपपत्र भी दाखिल किया गया. इस एफआईआर व मुकदमे को रद्द करने हेतु चंदेल परिवार ने नागपुर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिसे हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई हेतु स्वीकार किया गया.
ठोस सबूत नहीं
इस मामले में पुलिस ने 6 गवाहों के बयान दर्ज किये थे. साथ ही सगाई समारोह के छायाचित्र व वीडियो जप्त किये थे. लेकिन इससे यह साबित नहीं हो पाया कि, दहेज की मांग की गई थी. साथ ही दहेज कब और कहां मांगा गया था. इसकी जानकारी भी किसी गवाह द्वारा नहीं दी जा सकी. साथ ही एक भी गवाह ने चंदेल परिवार को दहेज मांगते हुए अपनी आंखों से नहीं देखा था. यानी दहेज मांगे जाने को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं पाया गया. जिसके चलते अदालत ने चंदेल परिवार को इस मामले में राहत दी.
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लेख
उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा के. सुब्बाराव मामले में दिये गये फैसले का उल्लेख किया. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, वर पक्ष के रिश्तेदारों को केवल मोघम आरोपों के आधार पर दहेज संबंधी अपराधों में नहीं फंसाया जाना चाहिए.