विदर्भ

40 रूपये की लूट का मुकदमा चला 43 साल , फिर भी आरोपी निर्दोष छूटा

नागपुर/दि.26 – न्यायालयीन मामले कई बार सालोंसाल चलते रहते है. जिनका कोई खास नतीजा नहीं निकलता. ऐसे ही 40 रूपये की लूट का एक मामला करीब 43 वर्ष तक अदालत में चलता रहा. इस दौरान फिर्यादी सहित तीन आरोपियों व सात गवाहों की मौत हो गई. वहीं एकमात्र जिंदा बचे आरोपी के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं रहने के चलते अंतत: अदालत ने उसे निर्दोष बरी कर दिया. बरी किये गये आरोपी का नाम भीमराव नितनवरे (65) बताया गया है.
जानकारी के मुताबिक 13 जनवरी 1978 को हिंगणा पुलिस थाना क्षेत्र में एक अपराध दर्ज किया गया था. जिसमें उस समय 23 वर्ष की आयु के रहनेवाले भीमराव नितनवरे सहित उनके साथीदार रमेश मेश्राम, मधुकर पाटील व हिरामन ढोके ने फिर्यादी मोतीराम दामाजी कोठाडे को रास्ते में रोककर उसे चाकू का धाक दिखाते हुए 40 रूपये छीन लिये थे. कोठाडे की शिकायत पर पुलिस ने अपराध दर्ज करते हुए रमेश मेश्राम को गिरफ्तार किया था. वहीं अन्य तीन आरोपी कुछ समय के लिए फरार थे. पश्चात नितनवरे को भी पकडा गया. लेकिन उसे जमानत पर छोड दिया गया. इसके बाद कई वर्ष तक यह मामला प्रलंबित रहा और वर्ष 2019 में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई. इस दौरान फिर्यादी मोतीराम दामाजी कोठाडे सहित इस मामले में नामजद रमेश मेश्राम, मधुकर पाटील व हिरामन ढोके की मौत हो चुकी थी और केवल भीमराव नितनवरे ही जीवित थे. ऐसे में स्वाभाविक तौर पर पुलिस अपनी ओर से आरोपी के खिलाफ कोई ठोस सबूत व गवाह पेश नहीं कर पायी तथा केवल स्पॉट पंचनामे के आधार पर आरोपी को दोषी नहीं माना जा सकता. ऐसा निर्णय सुनाते हुए न्यायाधीश पी. वाय. लाडेकर ने भीमराव नितनवरे को बाइज्जत बरी कर दिया.

क्या था मामला

– 13 जनवरी 1978 को दूध बिक्री कर अपने घर वापिस लौट रहे मोतीराम कोठाडे को चाकू का धाक दिखाकर उनके पास से 40 रूपये लूट लिये गये.
– हिंगणा पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद अपराध दर्ज करते हुए एक आरोपी को तुरंत गिरफ्तार किया. वहीं अन्य तीन आरोपी लंबे समय तक फरार थे.
– आगे चलकर भीमराव नितनवरे को भी गिरफ्तार किया गया. लेकिन जल्द ही वह जमानत पर रिहा हो गया.
– 39 साल तक प्रलंबित रहनेवाले इस मामले की सुनवाई वर्ष 2019 में शुरू हुई.
– इस दौरान फिर्यादी सहित अन्य तीन आरोपियों व सात गवाहों की मौत हो चुकी थी. ऐसे में आरोपियोें के खिलाफ पुख्ता सबूत व बयान पेश नहीं हो सके.
– अंतत: पुख्ता सबूतों के अभाव में अदालत ने भीमराव नितनवरे को बाइज्जत बरी कर दिया.

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