
प्रतिनिधि/दि.२५
नागपुर – हाल ही में राज्यपाल ने वनधिकार अधिनियम २००६ अंतर्गत तीन महिने के भीतर आदिवासी दावेदारों के जमीनों पर उपग्रही नक्शा तैयार कर वन जमीनों से जुडे प्रश्नों का निराकरण करने का निर्देश दिया है. जिसके अनुसार दोनो संंस्थाओं ने महाराष्ट्र के अनेेक संगठनाओं, संस्था कार्यकर्ताओं के अलावा सरकारी अधिकारियों को उपग्रह नक्शे तैयार करने का प्रशिक्षण देने की तैयारी दर्शायी है. उपग्रहीत नक्शे वन हक्क दावों की सबूत के रुप में उपयोगी साबित होंगे. जिससे वनहक्क की प्रतिक्षा कर रहे लाखों आदिवासियों को राहत मिलेगी. यहां बता दे कि, राज्य में वर्ष २००६ में वनधिकार अधिनियम लागू किए जाने के बाद आदिवासियों को आज भी पारंपरिक जमीनों का अधिकृत रुप से कब्जा प्राप्त करने में सफलता नहीं मिली है. लाखों लोगो ने इसके लिए दावा भी किया है. बावजूद इसके सबूतों के अभाव में वन हक्क पाने में अडचने आ रही है. पूरे राज्य में लंबित रहने वाले दावों की संख्या ३ लाख से अधिक है. वहीं पूरे देश में यह आंकडा १९ लाख से अधिक है. निर्धारित जमीनों पर १३ दिसंबर २००५ से पहले से ही खेती बाडी करने का पुख्ता सबूत आदिवासी समूदायों के पास नहीं होने से उनको पारंपारिक हक्क से वंचित रहना पड रहा है. इस बात को ध्यान में लेकर अमेरिका के कडेस्टा फाउंडेशन नामक संस्था के तकनीकी प्रयोग से वातावरण फाउंडेशन संस्था द्वारा उपग्रह नक्शे तैयार करने का काम किया गया है. कोई भी पुख्ता सबूत नहीं होने पर भी उपग्रह नक्शे आदिवासी दावेदारों को जमीनों का अधिकृत कब्जा दिलवाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. संस्था की ओर से रायगढ क्षेत्र में काम शुरु किया गया है. इस वर्ष ५ हजार दावों के निपटारे का विश्वास वातावरण फाउंडेशन के राहुल सावंत ने जताया है.