विदर्भ

अंधेरे से पीडिता ने आरोपी को नहीं पहचाना होगा

हाईकोर्ट : विनयभंग का आरोपी निर्दोष बरी

नागपुर/दि.18 – विनयभंग के एक मामले के आरोपी को घटनास्थल पर रहने वाले अंधेरे के चलते पीडिता ने पहचानने में भुल की होगी, ऐसी संभावना व्यक्त करते हुए मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक युवक को निर्दोष मुक्त किया है तथा इस मामले में पीडित व प्रत्यक्षदशिर्यों ने दी हुई गवाही में काफी विरोधाभास रहने की बात हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया. वर्धा सत्र न्यायालय ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए 3 महिने की कैद और 1 हजार रुपए जुर्माना ठोका है.
इसके खिलाफ आरोपी मनोहर भोयर (30) ने हाईकोर्ट में याचिका दाखल की थी. याचिका के अनुसार यह घटना वर्धा जिले के आर्वी तहसील के कुरझाडी गांव में 19 अगस्त 2007 को घटीत हुई. पीडित महिला के कहे नुसार वह रात 8 बजे के दौरान घर के बाहर खडी रहते समय आरोपी वहां पहुंचा और उसका हाथ पकडा. पीडिता ने होहल्ला मचाने से उसके परिजन वहां दौड आये. इस मामले में वर्धा सत्र न्यायालय ने आरोपी को 3 महिने की जेल की सजा और 1 हजार रुपए जुर्माना ठोका. इस निर्णय को चुनौती देते हुए आरोपी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. गवाहों में से पीडिता के देवर ने घटना के समय घर में वह टीवी देख रहा था, ऐसा बयान दिया, आवाज सुनकर वह घर से बाहर निकलने की बात कही तथा पीडिता के बेटे ने अपना घर गांव से दूर रहने से घर में और परिसर में बिजली न रहने की बात कही थी. उसकी मां और आरोपी के बीच पुराना विवाद रहने की कबुली बेटे ने दी. जिससे हाईकोर्ट ने गवाहों के बयान परस्पर विरोधी है और घटना के समय घटनास्थल पर रहने वाले अंधेरे के चलते पीडिता ने आरोपी का चेहरा नहीं देखा होगा, इस तरह के विचार व्यक्त किये.

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