विदर्भ

एक छत्ते में होती है 30 हजार मधुमक्खियां!

आज विश्व मधुमक्खी दिन

  • फसलों, पेड़ों को बढ़ाने का करती है काम

नागपुर/प्रतिनिधि दि.२० – कहीं पर लटकने वाले एक बड़े छत्ते में कितनी मक्खियां होती है, इसका अंदाज नहीं है. करीबन 30 से 40 हजार की संख्या में रहने वाली मधुमक्खियां फसलों और पेड़ों की बढ़ोत्तरी का काम लगातार करती हैं. निसर्ग से पोषण लेने वाला यह सदाकार्यशाल छोटा सा घटक निसर्ग को बढ़ाने में पोषक साबित होता है.
विश्व मक्खी दिन 20 मई को मनाया जाता है. परागीभवन करने वाली मक्खियों का अपने निसर्ग हेतु महत्व अधोरेखित करने का प्रयास इस दिन के निमित्त किया जाता है. ऐसा परागीभवन करने वालों में से मधुमक्खी यह सभी के परिचय की है. विदर्भ में सेरेना इंडिका या दातेरी नाम की मधुमक्खी पायी जाती है. वह मधुमक्खी पालन हेतु इस्तेमाल की जाती है. बावजूद इसके अन्य तीन-चार जाति सहजता से दिखाई देती है. फूलों और फल, सब्जियों से मकरंद शोषण करने वाली यह मक्खी परागीभवन के लियेऔर फसलों की बढ़ोत्तरी हेतु उपयुक्त साबित होती है. जंगल को बढ़ाने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है. निसर्ग में विविध घटक परागीभवन का काम करते हैं. लेकिन खेत में रासायनिक खाद का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किये जाने से ऐसे अनेक कीड़ों को मारा जा सकता है. इस पार्श्वभूमि पर मधुमक्खी का महत्व समझा जा सकता है. यह जानकारी चिखलदरा के सिपना महाविद्यालय के पर्यावरण शास्त्र के प्राध्यापक, मधुमक्खी पालन तज्ञ डॉ. विजय मंगले ने दी.
डॉ. मंगले ने कहा कि मधुमक्खी से शहद, मेण, औषधि उपयोग में आने वाला विष, प्रथी से देने वाला परागकण ऐसे अनेक बातें मिलती है. एकेले मेलघाट में 30 से 40 टन शहद निर्मिति की क्षमता है. मात्र विदर्भ में मधुमक्खी पालन का प्रमाण बहुत कम है.

  • पेटी से उड़ने के बाद आती है वापस

मधुमक्खी पालन करते समय उन्हें रखने के लिये विशेष पेटी का इस्तेमाल किया जाता है. फूलों के खेत मेें जाने के बाद पेटी को खोला जाता है और मधुमक्खी बाहर निकलती है. परागकणों का संकलन होने के बाद ये मधुमक्खियां पुनः पेटी में आकर बैठ जाती है. रानी मधुमक्खी के नेतृत्व में सभी मक्खियां काम करती हैं. अपने शरीर से विशिष्ट गंध बाहर डालती है. उसके आधार पर अन्य मक्खियां उसके पीछे-पीछे जाती रहती है. एक मक्खी साधारणतः 100 से 150 फूलों पर बैठकर परागकण का शोषती है, ऐसा तज्ञों का कहना है.

  • स्थलानंतरण जरुरी

मधुमक्खी पालन को पूरक उद्योग के रुप में देखा जाता है. इसमें से मिलने वाली आय अच्छी है फिर भी विदर्भ में सिर्फ मधुमक्खी पालन करने वाले बहुत कम लोग है. मधुमक्खीपालन करना हो तो परागकण की आपूर्ति करने के लिये बड़े पैमाने पर फूलों की आवश्यकता होती है. ऐसी जरुरत एक स्थान से पूरी न होती हो तो दूसरी तरफ मधुमक्खियों का स्थलांतरण करना पड़ता है. यह स्थलांतरण एक राज्य से दूसरे राज्य में भी होता है. मधुमक्खियों की पेटी लेकर यात्रा करनी पड़ती है और फूलों के स्थान पर पहुंचने पर ही पेटी को खोला जा सकता है.

Related Articles

Back to top button