देशभर में रहती है अधिक डिमांड
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 45 प्रांतों में जाती है धामणगांव में बनी लाठी
धामणगांव रेलवे/दि.22 – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्ण गणवेश में लाठी को काफी महत्व है. उत्कृष्ट दर्जे की लाठी धामणगांव नगरी में तैयार होती है और 45 विभिन्न प्रांतों में पहुंचती है. नागपुर के रेशम बाग में प्रति वर्ष आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग में 45 प्रांतों के 11 क्षेत्रों से स्वयंसेवक आते हैं. उन्हें प्रति वर्ष धामणगांव में बनी लाठी दी जाती है. आरएसएस गणवेश में काली टोपी, सफेद शर्ट, खाकी फुल पैन्ट, पट्टा, जुराबे, जूते व लाठी का समावेश रहता है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में हो या कही और लाठी मोटी और सीधी होना जरुरी होने से अच्छी लाठी बनाना एक कला ही है. लाठी विक्रेता किसानों के खेतों से बांस खरीदते है. उसके बाद बांस को लाठी में बदलने के लिए कडी मेहनत करते है. लाठी को सीधा करने के लिए अलसी और सिरके के तेल का इस्तेमाल करना पडता है. इन छडों को फिर आग पर भूना जाता है और फिर धूप में सेंका जाता है. जिसके बाद लाठियां सीधी और प्रयोग करने योग्य बन जाती है. आरएसएस केंद्र नागपुर के रेशिम बाग में प्रतिवर्ष संघ का तृतीय वर्ष होता है. इस वर्ग में देश-विदेश के 45 प्रांतों के 11 क्षेत्रों से स्वयंसेवक आते हैं. जिसमें अनेक स्वयंसेवक धामणगांव में बनी काठी का इस्तेमाल करते है और अपने साथ ले जाते है. उसी प्रकार देश के विभिन्न क्षेत्रों में धामणगांव के लाठी की मांग है.
- धामणगांव शहर हमेशा उत्कृष्ट लठी बनाने की कला में अग्रणीरहा है. नंदेश्वर, भैसारे और यहां के कुछ अन्य परिवार मुख्य रुप से लाठी बनाते हैं, हम बचपन से ही उनकी बनाई हुई लाठी का इस्तेमाल संघ की शाखा में करते है. यह गर्व की बात है कि, धामणगांव शहर में लाठी बनाने की कला देखी जाती है, यह गौरव पूर्ण है
– चंद्रशेखर राठी, प्रांत सहसंघचालक - दादा पांडुरंग, पिता शंकरराव, मै और अब मेरे बेटे नीलेश कई वर्षों से इस व्यवसाय में है. पीढियों से चली आ रही लाठी पिछले कई वर्षों से नागपुर के संघ कार्यालय में जा रही है. इसके अवाला, हमारी बनाई हुई लाठी नागपुर, अमरावती, वर्धा, हिंगणघाट, बुलढाना सहित लगभग पूरे विदर्भ में जाती है.
– शेषराव नंदेश्वर, लाठी विक्रेता