विदर्भ

पति अमीरी में और पत्नी गरीबी में रहे यह स्वीकार्य नहीं

नागपुर हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

नागपुर/दि.16 – कानून के मुताबिक प्रत्येक पत्नी को अपने पति के समान दर्जे का जीवन जीवने का अधिकार है. जिसके चलते पति ऐशो आराम के साथ रहे और पत्नी गरीबी वाला जीवन जीए, इसे मान्य नहीं किया जा सकता. इस आशय का फैसला सुनाते हुए मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने एक मामले में पत्नी के लिए मंजूर 16 हजार रुपए की मासिक खावटी को कायम रखा.
जानकारी के मुताबिक अकोला निवासी एक व्यक्ति केमिकल इंजिनियर है, जो सौदी अरब में नौकरी करता है और वहां अपनी पत्नी के साथ बेहद संभ्रात इलाके में रहा करता था. साथ ही इस दम्पति द्बारा सभी सुख-सुविधाओं के साथ ऐशो आराम वाली जिंदगी बिताई जा रही थी. परंतु इस व्यक्ति की पत्नी विगत 11 वर्षों सेे अपने मायके में रह रही है और पति ने उसके पालन-पोषण के लिए कोई प्रावधान नहीं किया है. इसके चलते वह अपने माता-पिता पर निर्भर करती है, ऐसे में उक्त महिला ने अपने पति से गुजर-बसर हेतु प्रतिमाह निश्चित रकम मिलने के लिए प्रथम श्रेणी न्यायदंडाधिकारी की अदालत में गुहार लगाई थी. जहां से अदालत ने 7 हजार 500 रुपए की मासिक खावटी मंजूर की थी. पश्चात इस खावटी को रद्द करने के लिए पति ने तथा खावटी की रकम बढवाने के लिए पत्नी ने सत्र न्यायालय में अपील दाखिल की थी और 17 नवंबर 2021 को सत्र न्यायालय ने पति की अपील को खारिज करते हुए पत्नी की अपील को मंजूर कर उसके लिए 16 हजार रुपए की मासिक खावटी मंजूर की. जिसके चलते पति ने हाईकोर्ट में डिविजन अपील दाखिल की. जिस पर न्या. गोविंद सानप की अदालत के समक्ष सुनवाई हुई और हाईकोर्ट ने भी पति की अपील को खारिज करते हुए कहा कि, चूंकि जब उक्त महिला अपने पति के साथ रह रही थी, तो बेहद साधन संपन्न जीवन में थी. उसी तरह का जीवन जीने का उसे पति से अलग होने के बाद भी अधिकार है. ऐसे में मौजूदा दौर की महंगाई को देखते हुए 16 हजार रुपए की खावटी पूरी तरह से योग्य है.
जानकारी के मुताबिक इस दम्पति का विवाह 7 जनवरी 2021 को हुआ था और उन्हें तीन संताने है. वर्ष 2006 में पति को सउदी अरब में नौकरी मिली. जिसके चलते वह अपनी पत्नी को लेकर सउदी अरब गया. परंतु कुछ मतभेदों के चलते पति-पत्नि के बीच आए दिन कलह होने लगी. जिससे तंग आकर उक्त महिला अपने पति को छोडकर मायके चली आयी. इस समय तक वे करीब 11 वर्ष एकसाथ रहे. पत्नी ने अपनी अपील में बताया कि, उसके पति को 3 लाख 50 हजार रुपए का मासिक वेतन है. जिसमें से उसे खावटी के तौर पर उचित रकम मिलनी चाहिए.

Related Articles

Back to top button