विदर्भ

बेहद गमगीन माहौल के बीच हजारो नम आंखों ने दी इंदिराबाई कडू को अंतिम विदाई

अंतिम यात्रा में उमडा अभूतपूर्व जनसैलाब

  • राज्यमंत्री बच्चु कडू ने दी माता की चिता को मुखाग्नि

चांदूर बाजार/दि.14 – विगत 12 मार्च को राज्यमंत्री बच्चु कडू की माताजी श्रीमती इंदिराबाई बाबाराव कडू का चांदूर बाजार तहसील अंतर्गत बेलोरा गांव स्थित उनके पैतृक आवास पर निधन हो गया था. पश्चात रविवार 13 मार्च की दोपहर स्व. इंदिराबाई कडू की अंतिम यात्रा निकाली गई और गांव में मारूती संस्थान के पास स्थित खुली जगह पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. इस समय राज्यमंत्री बच्चु कडू व उनके भाई अशोक कडू ने अपनी माता के पार्थिव को मुखाग्नि दी. इस अवसर पर बेहद गमगीन माहौल के बीच हजारों लोगों की भीड ने नम आंखों के साथ श्रीमती इंदिराबाई कडू को अंतिम विदाई दी.
बता दें कि, एक सामान्य किसान परिवार में जन्मे और किसी समय दूध बांटने का काम करनेवाले घर के सबसे छोटे सदस्य बच्चु कडू को मरीजों की सेवा व जनसामान्य को न्याय दिलाने हेतु प्रेरित करने में इंदिराबाई कडू का सर्वाधिक योगदान रहा. अपने अनोखे व साहसिक आंदोलनों के चलते बडी तेजी से विख्यात हुए बच्चु कडू के आसपास जब कार्यकर्ताओं का जमघट लगने लगा, तो वे सभी कार्यकर्ताओं के लिए मातृस्वरूपा बन गई तथा वक्त-बेवक्त एवं रात-बेरात अपने घर पर आनेवाले कार्यकर्ताओं के लिए वे भोजन-पानी की व्यवस्था किया करती थी. ऐसे में श्रीमती इंदिराबाई कडू के निधन की खबर सुनते ही अमरावती शहर व जिले सहित समूचे राज्य के प्रहार कार्यकर्ता शनिवार की रात से बेलोरा गांव पहुंचना शुरू हो गये थे. इस बात के मद्देनजर जिला पुलिस ने शनिवार की रात से ही बेलोरा गांव में व्यापक बंदोबस्त लगाया था. एवं अंतिम यात्रा में शामिल होने हेतु आनेवाले लोगों के वाहनों के लिए गांव के पास ही स्थित दो एकड खेत में पार्किंग की व्यवस्था की गई थी.

सुबह 10 बजे देशभक्ति गीतों के साथ शुरू हुई अंतिम यात्रा

रविवार की सुबह 10 बजे श्रीमती इंदिराबाई कडू की अंतिम यात्रा उनके पुश्तैनी आवास से निकाली गई. इस समय उनके पार्थिव को एक सुसज्जित स्वर्गरथ में रखा गया और अंतिम यात्रा की शुरूआत ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ जैसे देशभक्ति पूर्णगीत से हुई. साथ ही पूरी अंतिम यात्रा के दौरान विभिन्न देशभक्ति पूर्ण गीत बजते रहे. इसके अलावा इस अंतिम यात्रा में कई वारकरी दिंडियों ने भी सहभाग लिया और जब यह अंतिम यात्रा अंतिम संस्कार स्थल पर पहुंची, तब वहां राष्ट्रसंत द्वारा लिखीत राष्ट्रवंदना प्रस्तुत की गई. जिसके बाद बेहद गमगीन माहौल के बीच श्रीमती इंदिराबाई कडू के पार्थिव को राज्यमंत्री बच्चु कडू ने अपने भाई के साथ मिलकर मुखाग्नि दी.

समूचे गांव में जबर्दस्त शोक की लहर

वंचितों व पीडितों के लिए बच्चु कडू जैसा बेटा समर्पित करनेवाली श्रीमती इंदिराबाई कडू का हमेशा से ही बेलोरा गांव में अच्छा-खासा आदर-सम्मान व प्रभाव रहा और उन्होंने भी बेलोरा गांववासियों को हमेशा अपने ममत्व की छांव दी. उनके निधन का समाचार मिलते ही बेलोरा गांव शोक की लहर में डूब गया और शनिवार की शाम से अंतिम संस्कार होने तक बेलोरा गांव में किसी के भी घर पर चूल्हा नहीं जला.

डेप्यूटी सीएम अजीत पवार ने भेजा शोक संदेश

जानकारी के मुताबिक राज्यमंत्री बच्चु कडू की माताजी के निधन की खबर मिलने के बाद राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार खुद अंतिम संस्कार में शामिल होने हेतु बेलोरा गांव में आनेवाले थे. किंतु ऐन समय पर किन्ही अपरिहार्य कारणों के चलते उनका प्रस्तावित दौरा रद्द हो गया. हालांकि इसके बाद उन्होंने राज्यमंत्री बच्चु कडू को संदेश भेजकर अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की.

हर मोर्चे पर दिया अपने बेटे का साथ

यहा यह विशेष उल्लेखनीय है कि, राज्यमंत्री बच्चु कडू के परिवार की कभी कोई राजनीतिक पृष्ठभुमि नहीं रही और बच्चु कडू को छोडकर परिवार के अन्य सभी सदस्य खेती-किसानी के अपने पैतृक व पुश्तैनी कामकाज ही करतें है और अकेले बच्चु कडू ही ऐसे है, जो सामाजिक व राजनीतिक जीवन में सक्रिय है. इसके पीछे भी श्रीमती इंदिराबाई कडू द्वारा दी गई प्रेरणा ही सबसे मुख्य वजह रही. जिसने बेलोरा जैसे छोटेसे गांव में रहनेवाले और आम परिवार से वास्ता रखनेवाले बच्चु कडू को राज्य के हजारों-लाखों युवाओं का प्रेरणा स्थान बना दिया. साथ ही आज बच्चु कडू अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र का लगातार चार बार विधायक निर्वाचित होने के साथ-साथ राज्य के राज्यमंत्री भी है. पीडितों व शोषितों को उनका अधिकार व न्याय दिलाने के लिए बेहद अनूठे व अनोखे ढंग से आंदोलन करने के लिए विख्यात बच्चु कडू को उनकी मां इंदिराबाई कडू हर आंदोलन से पहले तिलक लगाकर रवाना किया करती थी. साथ ही सफलता का आशिर्वाद देने के साथ ही आंदोलन के बाद आंदोलन से जुडी खबरों को पढकर अपने बेटे की प्रशंसा भी करती थी. राज्यमंत्री बच्चु कडू हमेशा अपनी मां के बेहद नजदिक रहे और हर चुनाव में नामांकन भरते समय उनकी मां उनके साथ मौजूद रही. यहां तक की जब मतगणनावाले दिन चुनावी नतीजे से पहले कई प्रत्याशी देवदर्शन के लिए रवाना हो जाते है, तब बच्चु कडू बेलोरा स्थित आवास पर अपनी मां के पास बैठकर उनके हाथ का बना भोजन किया करते थे. इसके साथ ही अचलपुर जिले के निर्माण सहित 11 मांगों को लेकर बतौर विधायक बच्चु कडू ने जब गाडगेबाबा की कर्मभुमि नागरवाडी में अन्नत्याग आंदोलन किया था, तब उनकी मां इंदिराबाई कडू व पत्नी नयना कडू ने भी आंदोलन में शामिल होकर 11 दिनों तक अनशन किया था. साथ ही जब बच्चु कडू महाविकास आघाडी सरकार में राज्यमंत्री के तौर पर पद व गोपनियता की शपथ ले रहे थे, तब वे अपनी मां इंदिराबाई कडू को शपथग्रहण समारोह में शामिल करने हेतु मुंबई लाये थे. कुल मिलाकर इंदिराबाई कडू ने एक कर्मठ मां की भूमिका अदा करते हुए अपने बेटे को कर्मयोगी व्यक्ति में तब्दील किया. साथ ही जनसामान्यों की सेवा हेतु समाज के नाम समर्पित कर दिया. खुद राज्यमंत्री बच्चु कडू ने अपनी माताजी के अवसान पश्चात कहा कि, आज उनकी शक्ति का स्त्रोत चला गया है. यह उनकी मां ही थी, जिन्होंने उन्हें समाज की धैर्यवान सेवा के लिए तैयार किया.

गणमान्यों की रही उपस्थिति

राज्यमंत्री बच्चु कडू की माताजी श्रीमती इंदिराबाई कडू के अंतिम संस्कार अवसर पर पूर्व पालकमंत्री व विधान परिषद सदस्य प्रवीण पोटे पाटील, विधायक सर्वश्री राजकुमार पटेल, सुलभा खोडके, रवि राणा, प्रताप अडसड, नितीन देशमुख, किरण सरनाईक व हरिष पिंपले, जिला परिषद अध्यक्ष बबलू देशमुख, पूर्व राज्यमंत्री गुलाबराव गावंडे, पूर्व विधायक तुकाराम बिडकर, पूर्व जिप अध्यक्ष सुरेखा ठाकरे, रिपाइं के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. राजेंद्र गवई, राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके, सत्यपाल महाराज व बारस्कर महाराज (अहमदनगर), उपविभागीय अधिकारी संदीप अपार, तहसीलदार धीरज थूल, शिवसेना के जिला प्रमुख सुनील खराटे, पूर्व जिप सदस्य सुधीर सूर्यवंशी तथा संत गाडगेबाबा मिशन के बापूसाहेब देशमुख सहित जिले व तहसील के विभिन्न विभागों के अधिकारी, विभिन्न शैक्षणिक व सामाजिक संस्थाओं एवं संगठनों के पदाधिकारी तथा अलग-अलग क्षेत्रों से वास्ता रखनेवाले गणमान्य नागरिक बडी संख्या में उपस्थित थे.

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