विदर्भ

तीन पशुप्रेमी महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

आवारा श्वानों को खाना न देने के आदेश का विरोध

नागपुर/दि. ५- आवारा श्वानों को रोड, उद्यान तथा अन्य सार्वननिक स्थानों पर खाने चीजें न डालें, यह आदेश मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने देने से इस आदेश के खिलाफ स्वाति चैटजी, व अन्य दो पशुप्रेमी महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. हाई कोर्ट ने विगत २२ अक्टूबर को विवादग्रस्त आदेश दिया. आवारा श्वानों को सार्वजनिक स्थानों पर खाना न दें. आवारा श्वानों को यदि खाना देना हो तो उन्हें गोद लेकर उनका महानगरपालिका में पंजीयन करें अथवा उन्हें आश्रयगृह में रखें, यह बात सुप्रीम कोर्ट के आदेश में स्पष्ट की गई है. तथा खतरनाक साबित हो रहे श्वानों को मुक्त करना, उनका नसबंदी करना व आश्रयगृह में रखने संबंध में कानून में किए गए प्रावधान का कडाई से पालन करें और पुलिस आयुक्त व पुलिस अधीक्षक ने इस संदर्भ में मुंबई पुलिस कानून के तहत कार्रवाई करना जरूरी है, ऐसा उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है. जिस पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति जतायी है. विवादग्रस्त आदेश की वजह से आवारा श्वान व उनका खयाल रखने वाले नागरिकों के अधिकार बाधित हुए है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने समय समय पर दिए निर्देशों का उल्लंघन हुआ है. विवादग्रस्त आदेश के बाद महानगरपालिका ने आवारा श्वानों को पकड़ने की मुहिम शुरु की है. यह कार्रवाई करते समय भारतीय प्राणी कल्याण मंडल की मार्गदर्शक सूचना का उल्लंघन हो रहा है. आवारा श्वानों को सार्वजनिक स्थानों पर कोई चीज खाने देने की मनाई करनेवाला कोई भी कानून फिलहाल अस्तित्व में नहीं. इसके लिए विवादग्रस्त आदेश रद्द किया जाए, ऐसा याचिकाकर्ता महिलाओं का कहना है.

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