विदर्भ

तीन हजार आयुर्वेद डॉक्टरों को अध्यापन में प्रतिबंध

प्राध्यापको पर भारतीय केन्द्रीय चिकित्सा परिषद की कार्रवाई

वर्धा प्रतिनिधि/दि.२७ – केवल दस्तावेज पर ही प्राध्यापक होने का उजागर होने के बाद देशभर के तीन हजार पर आयुर्वेद डॉक्टरों को अगले १० वर्ष तक पढ़ाई करने के लिए मना किया गया है. भारतीय केन्द्रीय चिकित्सा परिषद ने यह कार्रवाई की है. वैद्यकीय महाविद्यालय में निरंतर चलनेवाले दस्तावेज की व्यवस्था पर इस प्रकार की पहली काठोर कार्रवाई है.
केन्द्रीय परिषद के नियमानुसार महाविद्यालय में पढ़ानेवाले प्राध्यापको ने अन्यत्र कार्यरत रहकर नये तरीके से शुरू होनेवाले महाविद्यालय में प्राध्यापको की उपस्थिति दस्तावेज पर ही रहती हैे प्रत्येक आयुर्वेद डॉक्टरों का उनके राज्य में पंजीयन होता है. उन्हें एक सांकेतिक क्रमांक दिया जाता है. उसनुसार संबंधित प्राध्यापको का राज्य निश्चित होता है. किंतु ऐसे अनेको ने दूसरे राज्य में प्राध्यापक होने का दिखाया. जिसके कारण एक ही समय में वह दोनों जगह पर कार्यरत कैसे रह सकता है, ऐसा प्रश्न उपस्थित हुआ. इसके बाद चिकित्सा परिषद ने जांच शुरू की.े ४ हजार २०० डॉक्टर प्राध्यापको को नोटिस दी गई है. पढ़ानेवाले महाविद्यालय में पूरे समय उपस्थित रहने का सबूत प्रस्तुत होने का बताया गया.
ऐसा सबूत केवल आठ सौ प्राध्यापक ही प्रस्तुत कर सके. परिणाम स्वरूप दूसरे अस्पताल के कार्य एक गांव में वे प्राध्यापक के रूप मेें नोकरी दूर के गांव में करने का उजागर हुआ.े वर्षभर पूर्व इस प्राध्यापक को तथा महाविद्यालयीन व्यवस्थापको को यह मामला रोकने की सूचना दी गई थी. किंतु इस सूचना की ओर अनदेखा किए जाने से स्वयं ‘आयुष’ मंत्रालय सचिव ने आगे आकर कठोर कार्रवाई की सूचना करने का कार्यकारी परिषद का एक सदस्य ने बताया. वर्षभर ऐसे प्राध्यापको को विनती, तंबी सूचना इस माध्यम से सावधान किया गया. किंतु उन्होंने सकरात्मक प्रतिसाद न मिलने से १९ अक्तूबर २०२० को कार्रवाई करने का निर्णय कार्यकारी परिषद ने लिया.

  • कारवाई क्यों ?

कार्रवाई किए जानेवाले अधिकांश आयुर्वेद प्राध्यापक यह महाराष्ट्र व कर्नाटक के हैे उन्होंने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार,उत्तरप्रदेश ऐसे राज्य में ूपूरे समय प्राध्यापक होने का दिखाया था. उन्हें १० साल पढ़ाई के लिए मना किया गया है. उन्हें मिलनेवाले शिक्षक सांकेतिक क्रमांक परिषद की सूची से अलग किया गया है.

  • परिणाम…

इस कार्रवाई के कारण देश भर के दो सौ से ऊपर आयुर्वेदिक महाविद्यालय के अध्यापन पर परिणाम होने की संभावना व्यक्त की गई है. यह स्तुत्य कार्रवाई है. जिसके कारण आयुर्वेद शिक्षा का दर्जा ऊंचा उठाने में मदद होगी. ऐसी प्रतिक्रिया पूर्व अधिष्ठाता डॉ.श्याम भुतड़ा ने दी.

उपस्थितों का गैर मामला रोकने के लिए संबंधित प्राध्यापको को अनेक अवसर दिया गया है. किंतु कुछ भी बदल न होने से कार्रवाई की गई. आयुर्वेद, युनानी, सिध्द शाखा के महाविद्यालय में यह मामला शुरू था. यह अपराध नहीं है. संबंधित प्राध्यापक डॉक्टरों को व्यवसाय करने की पूरी स्वतंत्रता है.
डॉ.जयंत देवपुजारी,
अध्यक्ष चिकित्सा परिषद

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