विदर्भ

महिला की सब्जियां फेंकना पुलिसकर्मी को पड़ा महंगा

दो साल का इंक्रीमेंट रोका गया

 नागपुर/दि.२३ – कोरोना संक्रमण रोकने के लिए नागपुर में लॉकडाउन लगा हुआ है. लेकिन लॉकडाउन के वक्त खाना-खर्चा जुटाने के लिए मजबूरी में सब्जियां बेचने वाली महिला की सारी सब्जियां एक पुलिस उपनिरीक्षक ने रास्ते पर फेंक दी थीं. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा था. लोग कमेंट्स करके संबंधित पुलिसकर्मी पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे. इस घटना का संज्ञान महाराष्ट्र के उर्जामंत्री नितिन राउत ने भी लिया था. आखिर पुलिस उप निरीक्षक संतोष खांडेकर पर कार्रवाई की गई. संतोष खांडेकर को अगले दो सालों तक इंन्क्रिमेंट ना देने का निर्णय लिया गया है. नागपुर के जरीपटका इलाके के कुशीनगर में एक महिला सब्जियां बेच रही थी. खाकी वर्दी का रौब जमाते हुए वहां पुलिस उपनिरीक्षक संतोष खांडेकर ने आकर महिला की सारी सब्जियां रास्ते पर फेंक दी. स्थानीय नागरिकों ने संबंधित पुलिसकर्मी की यह कार्रवाई अपने कैमरे में कैद कर ली और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया.

  • वायरल हुआ वीडियो, करनी पड़ी कार्रवाई

इस वीडियो को देख कर सोशल मीडिया में प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. अनेक लोगों ने संबंधित वीडियो को ट्वीट करना शुरू कर दिया और संबंधित पुलिसकर्मी पर कठोर कार्रवाई करने की मांग करने लगे. सामाजिक दबाव में आकर उर्जामंत्री नितिन राउत को भी इस प्रकरण में हस्तक्षेप करना पड़ा.

  • पुलिस आयुक्त अमितेष कुमार ने की कार्रवाई

सोशल मीडिया और प्रसार माध्यमों में यह वीडियो दिखाए जाने के बाद नागपुर पुलिस ने संबंधित पुलिस उपनिरीक्षक संतोष खांडेकर पर कार्रवाई की. नागपुर पुलिस आयुक्त अमितेष कुमार के आदेशानुसार संतोष खांडेकर की जांच की गई. इसके बाद संतोष खांडेकर के अगले दो साल के इन्क्रिमेंट को रोकने का निर्णय लिया गया. नागपुर पुलिस द्वारा इस कार्रवाई की जानकारी दी गई है.

  • वर्दी का ताव घाव कर गया

वर्दी का ताव अब संतोष खांडेकर पर ही घाव कर गया. इस घटना पर प्रतिक्रियाएं देते हुए सोशल मीडिया में यह किसी ने भी नहीं कहा कि लॉकडाउन के वक्त महिला का सब्जी बेचने का फैसला सही था. लेकिन कानून का इस्तेमाल कायदे से काम करवाने के लिए होना चाहिए ना कि कानून का डंडा चलाने के लिए. सुव्यवस्था बनाए रखने के लिए कानून का डर जरूरी होता है, कानून का कहर नहीं. सरकार अगर वर्दी देती है तो वर्दी की रेस्पॉन्सिबिलिटी भी होती है. वर्दी का इस्तेमाल शक्ति दिखाने के लिए नहीं सेवावृत्ति निभाने के लिए होना चाहिए. यह सीख तो स्कूलों में दी जाती है. लेकिन इस वर्दीवाले ने स्कूल की पढ़ाई में संवेदनशीलता का पाठ शायद नहीं सीखा. अब सही सबक मिला है, जीवन भर याद रहे, दंड ऐसा कड़क मिला है.

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