विदर्भ

संतरा फसल बीमे के हफ्ते में तिगुणा बढोत्तरी

अमरावती के किसानों को भरना पडेंगे 12 हजार रुपए

चांदूर बाजार/प्रतिनिधि दि.२८ – प्रधानमंत्री फसल बीमा के निकष फसल बीमा कंपनी के फायदे के लिए निर्धारित किये गए है. केंद्र सरकार व फसल बीमा कंपनी ने फल फसल बीमा अंतर्गत संतरा फल, अंबिया बहार के बीमा हफ्ते में तिगुणा इजाफा किये जाने से संतरा उत्पादक किसानों में रोष बना हुआ है. बीते वर्ष तक संतरा फसल के लिए बीमे का हफ्ता हेक्टेयर 4 हजार रुपए भरना पड रहा था, लेकिन इस बार इसमें तिगुणा वृध्दि की गई है. अब अमरावती जिले के किसानों को 12 हजार रुपए हेक्टेयर बीमा हफ्ता भरना पडेगा.
यहां बता दें कि इससे पहले 4 हजार रुपयों का बीमा हफ्ता भरकर हेक्टेयर 80 हजार रुपए की रकम सुरक्षित रखी जाती थी. लेकिन अब बीमा हफ्ता 12 हजार करने के बाद भी बीमा सुरक्षित रकम 80 हजार ही रखी गई है. बीमा हफ्ते में तिगुणा वृध्दि करने के बाद सुरक्षा रकम में भी तिगुणा वृध्दि करना जरुरी था. हेक्टेयर 12 हजार बीमा हफ्ते में 2 लाख 40 हजार की रकम प्रति हेक्टेयर सुरक्षित रखना आवश्यक था, लेकिन बीमा हफ्ता बढाकर बीमा कंपनियों के ही हितों का खयाल रखा गया है. जिसके चलते संतरा उत्पादक किसानों ने सरकार पर अन्याय करने का आरोप लगाया है. इतना ही नहीं तो ओलावृष्टि, प्राकृतिक आपदाओं से संतरा फसल बीमा सुरक्षा की जरुरत होने पर इसके लिए अलग से 1 हजार 333 रुपए प्रति हेक्टेयर किसानों को अलग से भरना पडेगा. जिससे जिले के किसानों को संतरा फसल बीमे के लिए प्रति हेक्टेयर 13 हजार 333 रुपए भरने पडेंगे. जिसके चलते किसानों में तीव्र रोष उमड रहा है.
संपूर्ण विदर्भ में संतरा फसल एक ही है. इसके बावजूद जिला निहाय संतरा फसल के हेक्टेयर हफ्ता यह अलग-अलग रखा गया है. संतरा बीमे की प्रति हेक्टेयर संरक्षित रकम सभी जिले में 80 हजार ही रखी गई है. अमरावती जिले के लिए हेक्टेयर तिगुना वृध्दि जिसमें 4 से 12 हजार रुपए पर बीमा हफ्ता बढाकर दिया है. वहीं बीमा हफ्ता नागपुर जिले के लिए 5 गुना बढा दिया गया है और नागपुर जिले के संतरा उत्पादक किसानों को हेक्टेयर 4 हजार के बगैर 20 हजार रुपए बीमा हफ्ता भरना पडेगा. हालांकि वहीं अकोला जिले के किसानों को केवल 4 हजार रुपए ही बीमा हफ्ता भरना पडेगा. लेकिन बीमा सुरक्षा रकम तीनों जिले के लिए 80 हजार रुपए ही रखी गई है. अलग अलग जिलों के लिए अलग अलग बीमा हफ्ता कर दिये जाने से किसानों में संभ्रम बना हुआ है.

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