विदर्भ

कोरोना काल में तंबाकू का सेवन व ध्रुमपान करने वालों की संख्या बढी

ध्रुमपान करने वालों में छोटे बच्चों का समावेश

  • पालकों को अधिक सर्तक रहने की आवश्यकता

वरुड/दि.1 – ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना काल में बडे प्रमाण में तंबाकू व तंबाकूजन्य पदार्थो का सेवन करने वाले व ध्रुमपान करने वालों की संख्या बढी है. जिसमें छोटे बच्चों का भी समावेश है. देश के भविष्य को बचाने के लिए पालकों को सामने आने की आवश्यकता है ऐसी प्रतिक्रिया विशेषज्ञों द्बारा व्यक्त की जा रही है. 31 मई को विश्वभर में तंबाकू विरोधी दिन मनाया जाता है.
तंबाकू व तंबाकूजन्य पदार्थ सेवन करने वालों की संख्या में दिनों दिन बढोत्तरी हो रही है. तंबाकू के सेवन से टिबी, कैंसर, हृदयरोग, फुफस की बीमारी होने की वजह से अनेक लोगों की असमय मौत हो जाती है. अनेकों परिवार उजड जाते है. फिर भी तहसील के ग्रामीण क्षेत्रों में तंबाकू, बीडी, सिगरेट, गुटका की बिक्री जोरो पर है. इतना ही नहीं शालेय विद्यार्थियों में भी धीरे-धीरे यह प्रमाण बढ रहा है. विद्यार्थियों व छोटे बच्चों में तंबाकू सेवन का प्रमाण कम किए जाने के लिए पालकों को अधिक सर्तक रहने की आवश्यकता है. पालक स्वयं सामने आकर बच्चों का मार्गदर्शन कर उन्हें व्यसनों से मुक्त करे ऐसी प्रतिक्रिया समाज के हर घटक द्बारा तंबाकू विरोध दिवस के अवसर पर व्यक्त की गई.

व्यसन मुक्ति के लिए प्रयासों की आवश्यकता

नयी पीढी यह देश का उज्जवल भविष्य है. यह पीढी व्यसन के अधिन चली गई तो उनके परिवार व देश को भी बडा नुकसान होगा. छोटे व अंजान बालकों को व्यसन से मुक्त करने हेतु सभी ओर से प्रयासों की आवश्कता है.
– डॉ.जयंत काशीकर, वरुड

चिंता का विषय

तंबाकू व तंबाकूजन्य पदार्थ का व्यसन पुरुषों तक ही समिति नहीं रहा है बल्कि छोटे बच्चें व महिलाए भी व्यसन की चपेट में आ गए है. जिसमें उनके स्वास्थ्य पर विपरित परिणाम पडता दिखाई दे रहा है यह चिंता का विषय है.
– डॉ. निलेश बेलसरे, फिजिशियन वरुड

घर-घर में पाए जाएगें कैंसर के मरीज

तहसील में तंबाकू व गुटके की खुलेआम बिक्री की जा रही है. यह धोखादायक है तंबाकूजन्य पदार्थ व गुटका सेवन से मुंह का कैंसर हो सकता है. तहसील में गुटका बिक्री पर रोक नहीं लगायी गई तो घर-घर में पाए जाएंगे कैंसर के मरीज.
– डॉ. मनोहर आंडे, स्त्रीरोग तज्ञ वरुड

समय रहते ध्यान देने की आवश्यकता

छोटे बच्चें व्यसनों के अधिन जा रहे है इस ओर समय रहते हुए ध्यान देने की आवश्यकता है. बच्चों को अच्छे संस्कार दिए जाने के लिए पालक व प्रत्येक शिक्षकों ने प्रयास करने चाहिए. और समय रहते बच्चों पर ध्यान भी देना चाहिए.
– डॉ. रंजन बेलसरे, वरुड

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