नागपुर/प्रतिनिधि दि.३० – किसी बात को लेकर केवल जानकारी के आधार पर आरोप करने और ज्ञान के आधार पर आरोप करने में फर्क होता है. कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले द्वारा केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी के खिलाफ दायर की गई निर्वाचन याचिका में त्रृटी रहने का दावा गडकरी के वकीलों द्वारा किया गया है, जो यद्यपि आंशिक रूप से सही है. किंतु इसके आधार पर इस याचिका को खारिज नहीं किया जा सकता. लेकिन पटोले ने आगामी 15 दिनों के भीतर अपनी याचिका में संशोधन करना चाहिए. इस आशय का आदेश मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ द्वारा जारी किया गया है.
बता दें कि, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने आरोप लगाया है कि, केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने अपने चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी दी है. जिसके तहत गडकरी द्वारा अपनी संपत्ति, आय व व्यक्तिगत जानकारी को छिपाया गया है. जिससे मतदाताओं की दिशाभूल हुई है. किंतु गडकरी ने पटोले पर पलटवार करते हुए कहा कि, पटोले द्वारा इस याचिका के लिए दाखिल किया गया शपथपत्र ही नियमबाह्य है. ऐसे में इस याचिका का कोई औचित्य ही नहीं बनता. जिसका पटोले के वकील एड. सतीश उके द्वारा विरोध करते हुए दावा किया गया कि, पटोले का शपथपत्र पूरी तरह से नियमानुसार है और न्यायालय के मन में पूर्वाग्रह निर्माण करने हेतु तथा न्यायालय का समय व्यर्थ करने हेतु गडकरी द्वारा यह दलील दी गई है. वहीं इससे पहले गडकरी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील मनोहर व एड. देवेंद्र चव्हाण ने युक्तिवाद किया. पश्चात न्या. अतुल चांदूरकर ने आदेश जारी करते हुए कहा कि, गडकरी के वकीलों के मुताबिक पटोले द्वारा दायर शपथपत्र में कुछ त्रृटियां है. किसी निर्वाचन याचिका के मार्फत आरोप लगाते समय उसके ठोस सबूत पेश करना भी आवश्यक होता है. शपथपत्र में कौनसा आरोप ज्ञान के आधार पर लगाया गया है और कौनसा आरोप जानकारी के आधार पर लगाया गया है, इसे लेकर स्पष्ट तरीके से जानकारी दी जानी चाहिए. अत: नाना पटोले द्वारा अपने शपथपत्र में रहनेवाली त्रृटियों को आगामी पंद्रह दिनों के भीतर दूर कर लिया जाना चाहिए.