विदर्भ

संकट के दौर से गुजर रहे ट्रांसपोर्ट व्यवसायी

एक ट्रक पर प्रतिमाह 60 से 70 हजार रुपए का नुकसान

  • लोडिंग-अनलोडिंग का भाडा भी ट्रांसपोर्टरों से वसूल रहे

नागपुर/प्रतिनिधि दि.२६ – देश में एक करोड माल परिवहन गाडियों के मालिक घोर संकट के दौर से गुजर रहे हैं. एक ट्रक 12 व्यक्तियों को रोजगार देता हैं. ड्राइवर, क्लीनर, पंचर वाले, होटल वाले, रिपेरिंग मिस्त्री, लोडिंग हमाल सहित ट्रक कार्यो से संबंधित व्यवसाय करने वाले परिवारों का पेट इस व्यवसाय के भरोसे चलता है. देश में यहीं एक धंधा है, जिसके लिए सरकार को अग्रिम तौर पर कर का भुगतान किया जाता है. ट्रक ऑपरेटर्स सरकार को प्रतिवर्ष एक ट्रक पर 33 लाख रुपए का रेवेन्यू देता है. लेकिन इन दिनों इस व्यवसाय की हालत काफी खराब हो चुकी है. डीजल के रेट 100 रुपए प्रति लीटर के करीब है, जबकि भाडा अब भी उतना ही लिया जा रहा है. एक ट्रक मालिक को प्रतिमाह 60 से 70 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है. मंदी के कारण कई ट्रक खडे हैं. एक ट्रक प्रतिवर्ष टोल टैक्स के रुप में 4 लाख रुपए सरकार को देता है. इसके साथ ही अन्य खर्च तो लगे हुए है. ऐसे में भी व्यापारी ट्रक के लोडिंग-अनलोडिंग कास लेबर खर्च, मुनसियाना, डाला खर्च, चायपानी खर्च आदि खर्च ट्रक मालिकों से वसूल रहे हैं. व्यापारी अपना खर्च ट्रक ऑपरेटर पर लाद रहे हैं. डीजल के दाम कम नहीं होते हैं तो ट्रक व्यवसाय चौपट हो जाएगा. देश की 10 से 12 करोड जनता इस व्यवसाय पर निर्भर है.

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