विदर्भ

एडवांस जमा करने के बाद ही कोरोना का इलाज

(corona Treatment) निजी कोविड अस्पतालों का अजीबो-गरीब नियम

प्रतिनिधि/दि.१९

नागपुर – ३५ लाख जनसंख्यावाले नागपुर में केवल ९ निजी अस्पतालों में ही कोविड संक्रमित मरीजों का इलाज जारी है. इसमें से कुछ अस्पतालों ने नियम बनाया है कि, जब तक उनके यहां ५० हजार से २ लाख रूपये बतौर एडवांस जमा नहीं करवाये जाते है, तब तक वे कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज शुरू नहीं करेंगे. अस्पतालों का कहना है कि, मरीजों द्वारा इलाज पूरा होने के बाद शुल्क जमा करने में काफी तकलीफ दी जाती है, और यदि सरकार द्वारा मरीजों के इलाज के खर्च की जिम्मेदारी ली जाती है तो, वे एडवांस नहीं लेंगे. वहीं दूसरी ओर निजी कोविड अस्पतालों में कोरोना संक्रमित होने के बाद भरती होनेवाले लोगों का कहना है कि, जब सरकार ने निजी कोविड अस्पतालों की दरें पहले से तय कर दी है, तो फिर अस्पतालों द्वारा इलाज से पहले एडवांस लेने का क्या मतलब है. बता दें कि, नागपुर में अगस्त माह के दौरान कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के साथ ही कोरोना के चलते होनेवाली मौतों की संख्या भी बेतहाशा बढ रही है. जुलाई माह में जहां रोजाना औसतन सौ से डेढसौ कोरोना संक्रमित पाये जाते थे, वहीं अगस्त माह में रोजाना ५०० के आसपास पॉजीटिव मरीज पाये जा रहे है. जिसके चलते चहुंओर भय व दहशत का माहौल है. साथ ही मेयो व मेडिकल हॉस्पिटल में आये दिन होनेवाली कोरोना संक्रमितों की मौतों की वजह से अब वहां पर कोई भी व्यक्ति इलाज कराने हेतु जाने के लिए तैयार नहीं है. जिसकी वजह से शहर के सभी निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए आरक्षित रखे गये बेड हाउसफुल्ल हो चुके है. वैसे भी नागपुर के निजी कोविड अस्पतालों में कोविड संक्रमित मरीजों हेतु ३०० से अधिक बेड नहीं है. जहां पर भरती होने के लिए भरती होने से पहले ही ५० हजार से २ लाख रूपये का एडवांस जमा करवाना पडता है. ऐसे में अब बीमारी से अधिक बीमारी का इलाज ही भयंकर हो चला है. अत: प्रशासन द्वारा जल्द से जल्द इस ओर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है.

हेल्थ इंशुरन्स धारकों को भी हो रही दिक्कत

लाखों रूपयों का हेल्थ इंशुरन्स निकाल चुके मरीजों को भी निजी कोविड अस्पतालों में एडवांस शुल्क जमा करवाना पड रहा है. इस संदर्भ में एक हॉस्पिटल के संचालक का कहना रहा कि, कुछ इंशुरन्स पॉलीसियों में कोविड की बीमारी का समावेश ही नहीं है. वहीं कुछ कंपनियां वॉर्ड में भरती रहनेवाले मरीज की फाईल को स्कैन करके भेजने हेतु कहती है, लेकिन कोविड वॉर्ड से फाईल को बाहर ले जाना अन्य लोगों के स्वास्थ्य की दृष्टि से खतरनाक साबित हो सकता है. ऐसे में हमने मरीजों को इलाज पूरा हो जाने के बाद रिएम्ब्रेसमेंट करने की सलाह दी है.

  • कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज का खर्च काफी अधिक आता है. सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए रोजाना ४ हजार, ७ हजार ५०० व १४ हजार रूपयों का शुल्क तय किया है. जिसमें से ४ हजार रूपये रोजाना का खर्च लक्षण नहीं रहनेवाले मरीजों के लिए तय किया गया है, लेकिन कोविड अस्पतालों में केवल मध्यम व गंभीर लक्षण रहनेवाले मरीजों पर ही इलाज करने का नियम रहने के चलते लक्षण विरहित मरीजों को यहां भरती नहीं करवाया जाता. वहीं ७ हजार ५०० रूपये रोजाना का खर्च रहनेवाले मरीजों को साधारणत: १४ दिनों तक अस्पताल में रखा जाता है. इन मरीजों को लगनेवाली महंगी दवाईयों, उपचार संबंधी यंत्र सामग्रीयों, ऑक्सिजन तथा पीपीई कीट व मास्क का खर्च ही लगभग २ लाख रूपयों तक जाता है. जिसकी वजह से निजी अस्पतालों द्वारा एडवांस शुल्क लिया जाता है. और यदि इलाज में खर्च कम हुआ तो एडवांस में से बचा हुआ पैसा मरीजों को वापिस भी किया जाता है. यदि सरकार द्वारा मरीजों के इलाज पर होनेवाले खर्च की जिम्मेदारी ली जाती है, तो हम लोग एडवांस लेना बंद कर देंगे.

– डॉ. अनुप मरार संयोजक, विदर्भ हॉस्पिटल एसो.

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