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प्रकल्पग्रस्त किसान गोपाल दाहीवले ने अनशन मंडप में लगाई फांसी

सुसाइड नोट में सरकार को बताया आत्महत्या के लिए जिम्मेदार

* कार्यकर्ताओं से आंदोलन जारी रखने की जताई अंतिम इच्छा
मोर्शी /दि.27– स्थानीय अप्पर वर्धा बांध प्रकल्पग्रस्त कृति समिति द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर किये जा रहे आंदोलन के दौरान बीती रात अनशन मंडप में गोपाल बाजीराव दाहीवले (48) नामक प्रकल्पग्रस्त किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. साथ ही आत्मघाती कदम उठाने से पहले लिखे गये सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कार्यकर्ताओं से आंदोलन को आगे भी जारी रखने का आवाहन किया. इसके अलावा गोपाल दाहीवले ने प्रकल्पग्रस्तों की मांगे पूर्ण होने तक अपने शव को अपने घर नहीं ले जाने की अंतिम इच्छा जताते हुए यह भी लिखा है कि, जलसमाधी आंदोलन के समय की गई जोरजबरदस्ती उन्हें तानाशाही की तरह महसूस हुई. जिससे आहत होकर वे आत्महत्या का कदम उठा रहे है.

बता दें कि, अप्पर वर्धा बांध प्रकल्पग्रस्त कृति समिति द्वारा अपनी विभिन्न प्रलंबित मांगों को लेकर विगत 253 दिनों से आत्मक्लेश आंदोलन किया जा रहा है. इसके तहत अलग-अलग तरह के आंदोलन करते हुए सरकार का ध्यान आकर्षित करने का किसानों द्वारा प्रयास किया जा रहा है. परंतु इसमें सफलता नहीं मिलने पर कुछ आंदोलनकारियों ने मुंबई स्थित मंत्रालय की उपरी मंजिल पर लगी सुरक्षा जाली पर छलांग लगाकर आंदोलन किया था. उस समय सीएम शिंदे ने 15 दिन के भीतर प्रकल्पग्रस्त किसानों की मांगे पूरा करने का आश्वासन दिया था. परंतु 5 माह का समय बीत जाने के बावजूद भी सरकार इस पर कोई समाधान नहीं निकाल पायी. ऐसे में यह आंदोलन अब भी बदस्तूर जारी है. जिसके तहत मोर्शी तहसीलदार कार्यालय के समक्ष बनाये गये आंदोलनस्थल पर कई प्रकल्पग्रस्त किसान डटे हुए है. जिनमें वर्धा जिलांतर्गत नये पुनर्वसन टाकरखेडा (पुराना पिंपडागांव) में रहने वाले गोपाल बाजीराव दाहीवले नामक 48 वर्षीय किसान का भी समावेश था. जिसकी जमीन को अप्पर वर्धा बांध के लिए सरकार ने संपादीत की थी और प्रकल्प में जमीन चले जाने की वजह से वे भूमिहीन हो गये. शरीर से दिव्यांग रहने वाले गोपाल दाहीवले जैसे-तैसे छोटे-मोटे काम करते हुए अपना और अपने परिवार का उदरनिर्वाह चला रहे थे तथा योग्य मुआवजा मिलने की प्रतिक्षा कर रहे थे. परंतु 50 वर्षों से चल रहे इस इंतजार में दो पीढिया खत्म हो गई. लेकिन किसानों की मांगे पूरी नहीं हुई. जिससे कई किसान अब निराशा का शिकार होने लगे है. इसी निराशा के चलते गोपाल दाहीवले ने 26 व 27 जनवरी की दरम्यानी रात मोर्शी तहसील कार्यालय के सामने बने आंदोलन मंडप में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली और अपनी मौत के लिए पूरी तरह से राज्य सरकार को जिम्मेदार बताया.

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