* माहेश्वरी भवन में श्रीराम कथा का संगीतमय आयोजन
धामणगांव रेलवे/दि.20-गृहस्थ जीवन की छोटी-मोटी भूल हम जिस तरह माफ करते हैं उसी तरह गृहस्थ जीवन में संस्कारित लोगों की गलतियों को लेकर भगवान भी हमें माफ करते जाते हैं. हम शिव पर भरोसा रखकर वास्तविकता को अपनाएं तो जीवन आनंद में होगा, यह विवेचन परम पूज्य राधारानीजी ने किया. धामणगांव के माहेश्वरी भवन में श्री राम कथा का संगीतमय आयोजन पुरुषोत्तम मास के अवसर पर किया गया है. इस अवसर पर राधारानीजी की सुमधुर वाणी में कथा श्रवण का लाभ श्रद्धालु उठा रहे है. श्रीराम कथा ज्ञान गंगा के दूसरे दिन सती मोह एवं शिवा विवाह पर चर्चा कर राधा रानी जी ने मंत्रमुग्ध कर दिया.
उन्होंने कहा कि, प्रेम व्यक्ति तक सीमित नहीं. प्रेम कोई अर्थ नहीं स्वार्थ से परे हैं! प्रेम, सच्चा साथी वही जो सन्मार्ग दिखाए, अच्छे कार्य में सहयोग करें. शिव-पार्वती प्रेम में समर्पण का भाव था. इसी के चलते जब शिव अपनी बारात लेकर चले तो उन्होंने किसी भी आडंबर का सहारा नहीं लिया. घोड़ी की जगह नंदी, बारातियों की जगह अपने चेले और खुद भी उसी वेशभूषा में जिनमें उनके हमेशा दर्शन होते हैं. उसी वेशभूषा में वे दूल्हा बनकर विवाह स्थल पर पहुंचे. शिव विवाह में वास्तविकता का दर्शन होता है, तो आज के विवाह में वास्तविकता दिखाई नहीं देती है. अपार खर्च वास्तविकता से परे विवाह के माहौल को अलग ही दुनिया में पहुंचा देता है. अपने वास्तविक कल्चर से परे हम खुशी की अनुभूति तो लेते हैं किंतु अपने संस्कार को हम कहीं भूलते जा रहे हैं.
पुरूषोत्तम मास के पावन पर्व पर चल रहे इस ज्ञान गंगा में माहेश्वरी भवन के ज्ञान गंगा तट पर सैंकडों भक्तों ने इस भक्ति संगीत में कथा का आनंद उठाया. कथा दौरान शिव-पार्वती के विवाह पर आकर्षक झांकी बाल भक्तों द्वारा प्रस्तुत की गई.