विदर्भ

ब्रेनडेड महिला मजदूर के अवयव दान से दो मरीजों को मिला जीवनदान

साल का 17 वां अवयवदान

* 44 मरीजों को मिली नई जिंदगी
नागपुर/दि.23– ऑर्गन डोनेशन का महत्व अब केवल शहर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में भी पहुंचा है. दुख की घडी में भी सामाजिक दायित्व का ध्यान रखते हुए अवयवदान का निर्णय लिया जा रहा है. शनिवार को वणी तहसील में ब्रेन डेड हुई खेतिहर महिला मजदूर के परिवार ने अवयव दान के लिए पहल की. इससे दो लोगों को जीवनदान मिला. यवतमाल तहसील के वणी में सुधा संजय गुहे (51) यह ऑर्गन डोनर का नाम है. सुधा खेेतिहर मजदूर का काम कर परिवार की मदद करती थी. उनके पति संजय निजी वाहन पर चालक के रुप में काम करते है. उन्हें मानसी (19) और नेहा (20) यह दो पुत्रियां है. सुधा सिरदर्द से पीडित थी. उनके परिजनों ने उन्हें वर्धा के सावंगी मेघे के विनोभा भावे ग्रामीण अस्पताल में भर्ती किया था.

उन दो दिन से उपचार चल रहा था, लेकर उपचार को कोई प्रतिसाद नहीं मिलने से डॉक्टरों ने जांच की. इसके बाद उन्हें बे्रन डेड घोषित किया. डॉ.विठ्ठल शिंदे, रूपाली नाईक ने सुधा के परिजनों को अवयवदान के लिए समुपदेशन किया. पति संजय और दोनों बेटियों ने मां के अवयव दान के लिए लिखित मंजूरी दी. इसके पश्चात विभागीय प्रत्यारोपण समिति के अध्यक्ष डॉ.संजय कोलते, सचिव डॉ.राहुल सक्सेना के मार्गदर्शन में समिति के समन्वयक दिनेश मंडपे ने अवयवदान की प्रक्रिया पूर्ण की. किडनी न्यू इरा हॉस्पिटल की 38 वर्षीय महिला को तथा लिवर इसी हॉस्पिटल के 41 वर्षीय पुरूष मरीज को दान किया गया.

* अब तक 44 मरीजों को नई जिंदगी
2013 से तथा 2024 इन 11 वर्षों के दौरान 147 लोगों का अवयव दान हुआ. जिससे 44 मरीजों को नई जिंदगी मिली. विगत 20 दिनों में 7 बे्रनडेड मरीजों का अवयव दान हुआ. 13 लोगों को किडनी, तथा 5 मरीजों को लिवर दान किया गया.

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